Sunday, October 10, 2010

चापाकल : पीटर डेनियल्स

टाइम्स लिटरेरी सप्लीमेंट (TLS) की कविता प्रतियोगिता 2010 में प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत कविता ]




टोंटी के पानी के बाद बेकार ही हो गया चापाकल 
जंजीर से बंधा बगल पड़ा हत्था, यूँ कहें कि आराम फरमाता 
"कभी जो हुआ करता था हमारे पास" में बदल चुका है चापाकल 
किसी ने सोचा भी नहीं इससे छुटकारा पाने के बारे में 
जब युद्ध घोषित हुआ था तो उन्होंने इसके पुर्जे खोले और तेल दिया था 
कि क्या पता हिटलर पानी के संचय-स्थानों पर बमबारी कर दे 
लेकिन आता रहा टोंटी से पानी 
हाते का हिस्सा है ये 
गहरी नीली ईंट की पटरियों से बने बरहे के साथ 
साथ नाली में पड़ी झाड़ू के 
हरे रंग में रंगा लोहे का एक टुकड़ा 
दीवाल से लगा जंग खाता, समूचा

  "स्वदेशी" नुमाइश बताते हैं इसे
 टब में पड़े फूल शोभा बढ़ा रहे चापाकल की
 जिसे नए सिरे से कर दिया गया है सफ़ेद
 ढलाई-घर और तारीख को उभार दिया है काले रंग में
 किसी रचना में विराम-चिन्ह की तरह
 ले चलता है रसोई के दरवाज़े की तरफ, पत्थर के बेसिन को 
जहाँ रखी जाती थी बाल्टी जिसमें उगी होती थीं जलकुम्भियाँ
 अब आगंतुकों के लिए सजी-संवरी इस जगह
 बेकार चापाकल प्रतीक हो सकता है उस पूरी  ताकत का
 जो लगाती थी लड़की चलाने को इसे 
और तब तक चलाती थी जब तक कि लोहाया पानी निकल नहीं आता था आख़िरकार
 आखिरकार उसे मिल सका था वक्त किसी की दादी-माँ बनने का 
कि कोई देखे चापाकल को और याद करे उसे |   
 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

7 comments:

  1. अच्छा प्रयास , बधाई

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  2. great in times supplement

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  3. हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है।
    आपको और आपके परिवार को नवरात्र की शुभकामनाएं।

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  4. सार्थक लेखन के लिये आभार एवं "उम्र कैदी" की ओर से शुभकामनाएँ।

    जीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव भी जीते हैं, लेकिन इस मसाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये यह मानव जीवन अभिशाप बना जाता है। आज मैं यह सब झेल रहा हूँ। जब तक मुझ जैसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यही बडा कारण है। भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस षडयन्त्र का शिकार हो सकता है!

    अत: यदि आपके पास केवल दो मिनट का समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये।

    आपका शुभचिन्तक

    "उम्र कैदी"

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  5. अच्छा प्रयास , बधाई

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें

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  7. I THINK HINDI BLOG IS MUCH IMPORTANT AND BETTER TO SPRED OVER KNOWLEDGE TO US. I THNKS TO ALL OF U . SUBHASH CHANDER SHARMA ADVOCATE HANUMANGARH RAJASTHAN

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