tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post1656108657154242417..comments2024-03-19T13:02:39.405+05:30Comments on पढ़ते-पढ़ते: एंतोनियो पोर्चिया के साथ एक मुलाक़ातमनोज पटेलhttp://www.blogger.com/profile/18240856473748797655noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-56277483109152600482012-04-01T12:21:51.722+05:302012-04-01T12:21:51.722+05:30बहुत सुंदर. अंतिम अनुच्छेद तो अप्रतिम है.बहुत सुंदर. अंतिम अनुच्छेद तो अप्रतिम है.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-21859823248501128872012-03-29T07:31:28.062+05:302012-03-29T07:31:28.062+05:30अस्तित्व की अनंतता,अमूर्त वास्तविकता और मानव हृदयो...अस्तित्व की अनंतता,अमूर्त वास्तविकता और मानव हृदयों की जटिलताओं के कुशल चितेरे से मर्मस्पर्शी मुलाकात का विवरण लेखक के संसार में प्रवेश करा देता है.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-55982370334314287352012-03-27T13:40:21.344+05:302012-03-27T13:40:21.344+05:30सच है... सच्चे कवि के पास कविता को जाना ही होता है...सच है... सच्चे कवि के पास कविता को जाना ही होता है...<br />ये कविताओं का जगत ही ऐसा है... प्यासे तक कुआं चल कर जाता है!<br />इस सुन्दर मुलाकात की प्रस्तुति के लिए आभार!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.com