tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post3182761325342311144..comments2024-03-19T13:02:39.405+05:30Comments on पढ़ते-पढ़ते: टॉमस ट्रांसट्रोमर की कवितामनोज पटेलhttp://www.blogger.com/profile/18240856473748797655noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-36076041187008357652011-10-27T10:19:28.876+05:302011-10-27T10:19:28.876+05:30कई बार लिखे का/बोले का उतने मायनी नहीं होता जितना ...कई बार लिखे का/बोले का उतने मायनी नहीं होता जितना अव्यक्त का, कि या तो समझो और चुप ही रहो ! और ना समझे तो भी चुप ही रहो ! गुड का मीठा होना शब्द नहीं है, शब्द नहीं हैं हिरन के खुरों के निशान.दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-34760776908490108162011-10-14T13:52:30.782+05:302011-10-14T13:52:30.782+05:30मौन की भाषा अथवा तो चिन्हों की भाषा... शब्दों के ब...मौन की भाषा अथवा तो चिन्हों की भाषा... शब्दों के बिना संवाद का यह ढंग सुंदर है...वरना तो शब्दों की भीड़ में भाषा कहीं खो ही गयी है. आभार!Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-14953159858570138322011-10-14T12:16:36.050+05:302011-10-14T12:16:36.050+05:30शब्द, मगर कोई भाषा नहीं
भाषा, मगर कोई शब्द नहीं .....शब्द, मगर कोई भाषा नहीं<br />भाषा, मगर कोई शब्द नहीं ...<br />बहुत सुन्दर !!!varshahttps://www.blogger.com/profile/03696490521458060753noreply@blogger.com