tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post399402366561159069..comments2024-03-19T13:02:39.405+05:30Comments on पढ़ते-पढ़ते: रॉबर्ट ब्लाय : लाशों की गिनतीमनोज पटेलhttp://www.blogger.com/profile/18240856473748797655noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-9535079720480946782011-10-27T09:51:21.259+05:302011-10-27T09:51:21.259+05:30ये लाईन दरअसल 'नौकर की कमीज़' में गरीबों ...ये लाईन दरअसल 'नौकर की कमीज़' में गरीबों के वास्ते कही गयी है, पर ये लाईन मुझे हर उस जगह फिट लगती है जहाँ 'संवेदनाओं' को नापने का पैमाना 'सांख्यिकी' हो: <br /><b>गरीब एक स्तर के होते हुए भी एक जैसे इकट्ठे नहीं होते, जैसे पचास आदमी को काटकर पचास आदमी बना देना.<br />यदि पचास हैं तो उसका मतलब सिर्फ पचास, एक और- फ़िर गिनती करो इक्यावन !</b>दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-56717102516357259812011-10-22T08:42:34.879+05:302011-10-22T08:42:34.879+05:30बहुत दर्दनाक कविता ,बेहद त्रासद !
आभार इस संवेदना ...बहुत दर्दनाक कविता ,बेहद त्रासद !<br />आभार इस संवेदना से जोडने के लिए !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-46344103805884690052011-10-21T17:18:54.637+05:302011-10-21T17:18:54.637+05:30सुन्दर , बधाई स्वीकारें.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी ...सुन्दर , बधाई स्वीकारें.<br /> <br />कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.S.N SHUKLAhttps://www.blogger.com/profile/16733368578135625431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-2596659728603724992011-10-21T17:03:20.965+05:302011-10-21T17:03:20.965+05:30Dil ko chhoo gayee..Dil ko chhoo gayee..Reena Satinnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-48338229665334146862011-10-21T15:54:05.838+05:302011-10-21T15:54:05.838+05:30आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मं...आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी की गई है!<br />यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो <a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> का भी प्रयास सफल होगा।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-33806743898301077142011-10-21T14:32:29.806+05:302011-10-21T14:32:29.806+05:30...एक ला.... अंगूठी में पिरोने की तमन्ना .....ये ......एक ला.... अंगूठी में पिरोने की तमन्ना .....ये सपना .....इश्वर करे कभी साक्षत कार न हो ...उस से पहले नव सर्जन हो जाये ...कम से कम अंगुठिया आपने नाम को तो खो ही देगी !!!!!!!इसानी परिकल्पना की जबरदस्त गिरी सोच को ..उकेरती पक्तियां !!!!Nirmal PaneriTravel Trade Servicehttps://www.blogger.com/profile/11770735608575168790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-89045583999667835292011-10-21T12:28:10.356+05:302011-10-21T12:28:10.356+05:30बिल्कुल दहला देने वाली कविता...इसे संभाल कर रख लिय...बिल्कुल दहला देने वाली कविता...इसे संभाल कर रख लिया है...बार-बार पढ़ना होगा.Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-41420333324752603462011-10-21T11:34:02.803+05:302011-10-21T11:34:02.803+05:30ओह ...!!! ...कब तक हम गिनते रहेंगे लाशें ...? कब त...ओह ...!!! ...कब तक हम गिनते रहेंगे लाशें ...? कब तक मनाते रहेंगे जश्न मौत का ?... कब तक लाल रंग को सिर्फ खून से पहचानेंगे ?...कब तक सुनेंगे हम चीख़ों की जानलेवा धुन ?...कब? आखिर कब सुनेंगे हम दिल की आवाज़ ???सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.com