tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post4936957121633359130..comments2024-03-19T13:02:39.405+05:30Comments on पढ़ते-पढ़ते: दून्या मिखाइल : समुद्र से बिछड़ी एक लहर की डायरीमनोज पटेलhttp://www.blogger.com/profile/18240856473748797655noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-18100578719973498412012-12-01T19:56:43.282+05:302012-12-01T19:56:43.282+05:30jio manoj bhaijio manoj bhaisandhyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-45988631291388818802011-09-11T11:01:35.106+05:302011-09-11T11:01:35.106+05:30adbhut kavita,bahut hi sshakt anivad,jeevan ki kav...adbhut kavita,bahut hi sshakt anivad,jeevan ki kavita hai, jeevant hai.doonya ka dard faail kar, duniya ke har samvedansheel dil tak pahuch gaya.badhai manoj ji ko, aur aabhar un dosto ka jinhone padhte padhte se mera parichai karayaveena bundelahttps://www.blogger.com/profile/09104186382246838339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-37950812183183402642011-09-09T22:23:24.558+05:302011-09-09T22:23:24.558+05:30प्रिय मनोज भाई,
सबसे पहले आपको ढेरो बधाई कि आपके ...प्रिय मनोज भाई, <br />सबसे पहले आपको ढेरो बधाई कि आपके अथक प्रयास से "पढ़ते-पढ़ते" ने अपना एक साल का सफल सफर तय किया. आपने हिंदी ब्लाग की दुनिया में "पढ़ते-पढ़ते" को एक ऊँचाई दिया है..मैं ही नहीं कई रिडर इस ब्लाग के माध्यम से विश्व के कई कवियों और उनकी कविताओं से पहली बार परिचित हुए. आशा है आपका यह प्रयास और पढ़ते-पढ़ते की सफर अबाध गति से चलता रहेगा.मेरी शुभकामना आप के साथ है. <br /><br /> दून्या मिखाईल की यह कविता भले ही ईराक युद्ध और उसके प्रभाव को लेकर उपजी हो लेकिन कविता को पढ़ते हुए मैं हर पल इसी अहसास में मसरूफ होता जाता था कि कविता अपने प्रभाव में हमारे वर्तमान समय और सभ्यता को रेसा दर रेसा खंगालती जा रही है.मोटेतौर पर हम जिस वसुद्धैव कुटुंब की बात करते है और दुनिया को इसमें पिरोना चाहते है जिसकी कामयाबी वैश्विक बाजार की छद्मता में बदल कर अपना दम तोड़ रही है.ऐसे में यह कविता जो अर्थ खोल रही है उससे पता चल जाता है कि सच्चे अर्थों में वैश्विक होना क्या है और हम किस के पीछे कैसे भाग रहे है. हलाकि कविता में मैंने अपने द्वारा लक्षित बस एक एंगल मात्र की बात की है जाहिर सी बात है आपको या किसी को भी असहमति हो सकती है और होना भी चाहिए.<br /> बहरहाल अभी मेरे ज्यादा ध्यान पढ़ते-पढ़ते के सलाना सफर पर नाच रहा है.आपको पुन: बधाई और शुभकामना.<br /> आपका<br /> शेषनाथsheshnath pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02402301777039633330noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-49984110367579385262011-09-09T17:26:05.219+05:302011-09-09T17:26:05.219+05:30कविता शुरुआत से ही जकड़ लेती है सीट पर मानों एक फि...कविता शुरुआत से ही जकड़ लेती है सीट पर मानों एक फिल्म शुरू हुई <br />और<br />हिलने नहीं देती अंत तक <br />शब्द चरम पे जाकर नाद करते हैं इस तरह कि भय लगने लगता है <br />–आभार<br />व बधाई ब्लाग के प्रथम वर्षगाँठ कीAshish Pandey "Raj"https://www.blogger.com/profile/12211524707558022934noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-22471246712045103512011-09-09T14:38:43.628+05:302011-09-09T14:38:43.628+05:30अच्छी कविता पढ़ कर सर भी चकरा जाता है, यह आज जाना....अच्छी कविता पढ़ कर सर भी चकरा जाता है, यह आज जाना.कविता ने जैसे अपने मोह-पाश में जकड़ लिया है.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.com