tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post6956815385725649534..comments2024-03-19T13:02:39.405+05:30Comments on पढ़ते-पढ़ते: जैक एग्यूरो : यह भी कोई प्रार्थना है प्रभु?मनोज पटेलhttp://www.blogger.com/profile/18240856473748797655noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-72687220319215606932012-06-22T11:29:44.941+05:302012-06-22T11:29:44.941+05:30बढ़िया.....बढ़िया....बढ़िया.....!!!बढ़िया.....बढ़िया....बढ़िया.....!!!Raju Patelhttps://www.blogger.com/profile/13069344653559774866noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-9579314850510036692012-06-20T22:49:07.700+05:302012-06-20T22:49:07.700+05:30बेहद खूबसूरत...
लिखते रहें प्रार्थना....जाने कौन स...बेहद खूबसूरत...<br />लिखते रहें प्रार्थना....जाने कौन सी प्रभु के मन भा जाए.....<br /><br />वाह!!!!ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-11261853647500682582012-06-20T20:11:35.451+05:302012-06-20T20:11:35.451+05:30प्रभु से मित्रवत वार्तालाप .हम अक्सर उनसे ऐसे ही ब...प्रभु से मित्रवत वार्तालाप .हम अक्सर उनसे ऐसे ही बतियाते हैं मानो वे हमारे प्रियजन हों.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-39341249214133944222012-06-20T14:09:16.717+05:302012-06-20T14:09:16.717+05:30बेहतरीन वक्तव्य, जो कविता की शैली में और अधिक प्रभ...बेहतरीन वक्तव्य, जो कविता की शैली में और अधिक प्रभावी बन पड़ी है। किसी सार्थक टिप्पणी के लिए कुछ इंतजार करना पड़ेगा। शायद मेरे माध्यम से कोई प्रत्युत्तर बन पड़े, इसी शैली में।सृजन शिल्पीhttp://srijanshilpi.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-26903220159971333682012-06-20T12:35:35.349+05:302012-06-20T12:35:35.349+05:30आपको पढ़ना हमेशा ही सुखद अनुभव होता है ..
"क्य...आपको पढ़ना हमेशा ही सुखद अनुभव होता है ..<br />"क्या तब भी सुनोगे तुम जब यह प्रशंसा न करती हो तुम्हारी " <br />बहुत खूब कयोकि अक्सर भगवन भी स्तुति ही पसंद करते है ...हेमा अवस्थीhttp://himkan.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-28050736283507410672012-06-20T11:52:52.952+05:302012-06-20T11:52:52.952+05:30सुन्दर संवाद सीधे प्रभु से...!
वाह!सुन्दर संवाद सीधे प्रभु से...!<br />वाह!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-54124457198940139302012-06-20T10:28:15.887+05:302012-06-20T10:28:15.887+05:30बहुत खूब ! प्रभु से बातचीत का यह दोस्ताना लहजा भी ...बहुत खूब ! प्रभु से बातचीत का यह दोस्ताना लहजा भी खूब रहा !<br />अच्छी कविता मनोज जी ! शुक्रिया !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-35480990303291295802012-06-20T10:23:26.667+05:302012-06-20T10:23:26.667+05:30"और प्रभु....
...पृथ्वी की सारी बेहूदगियों का..."और प्रभु....<br />...पृथ्वी की सारी बेहूदगियों का..." सही सवाल, पर जिसका कोई जवाब नहीं मिलना तय है.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.com