tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post1952017429757005979..comments2024-03-19T13:02:39.405+05:30Comments on पढ़ते-पढ़ते: निज़ार कब्बानी की दस कवितायेँमनोज पटेलhttp://www.blogger.com/profile/18240856473748797655noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-5442070514077807922010-11-30T13:06:13.037+05:302010-11-30T13:06:13.037+05:30पार्टनर, ये कवितायेँ शहद के छत्ते की तरह हैं. शहद ...पार्टनर, ये कवितायेँ शहद के छत्ते की तरह हैं. शहद से लबरेज़ पर जिनकी हिफाज़त निज़ार साहब करते हैं. ज़ुल्मतों के दौर में इश्क के तराने सुनाने के लिए शुक्रिया.<br />अनुवाद बेहद खूबसूरत हैं, हालांकि मूल मैंने नहीं पढ़ा है. खासकर मध्य पूर्व की दुनिया के एक शायर के अनुवाद में उर्दू का रंग कविता को उसके असली स्वाद के बेहद नज़दीक खडा कर देता है.<br /><br />एक सुझाव है -<br />अगर आप इन कविओं के बारे में, उनकी कविताओं की खासियतों के बारे में, उनकी शायरी के हलकों के बारे में कुछ मालूमात पेश केर दें तो शायद और बेहतर रहेगा, कविता के इर्द-गिर्द की ज़मीन और समझी जा सकेगी, और कविता भी.<br />फिर से शुक्रिया.मृत्युंजयhttps://www.blogger.com/profile/09135755676182103803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-44661749791526593122010-11-30T11:33:43.915+05:302010-11-30T11:33:43.915+05:30बहुत ख़ूबसूरत रचनाएँ और बहुत उम्दा अनुवाद मनोज भाई...बहुत ख़ूबसूरत रचनाएँ और बहुत उम्दा अनुवाद मनोज भाई। बधाई। मुझे व्यक्तिगत स्तर पर कविता "क्या चला जाता ख़ुदा का" बहुत अच्छी लगी।Farid Khanhttps://www.blogger.com/profile/04571533183189792862noreply@blogger.com