tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post9107137398625419260..comments2024-03-19T13:02:39.405+05:30Comments on पढ़ते-पढ़ते: लैंग्स्टन ह्यूज : फ्लोरिडा सड़क मजदूरमनोज पटेलhttp://www.blogger.com/profile/18240856473748797655noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-23468091992886124752012-01-11T11:00:12.300+05:302012-01-11T11:00:12.300+05:30manoj bhai aapki parkhi nazar vo dhoondh lati hai ...manoj bhai aapki parkhi nazar vo dhoondh lati hai jiski hamare samaj ko asal me jarurt hoti hai.shandar kavita ka shandar anuvad.parmanand shastrihttps://www.blogger.com/profile/07297848489739268744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-88474922913387245272012-01-11T07:55:30.290+05:302012-01-11T07:55:30.290+05:30गहरा व्यंग्य है कविता में। मनोज जी को सन्दर अनुवाद...गहरा व्यंग्य है कविता में। मनोज जी को सन्दर अनुवाद के लिए बधाई।Umeshhttps://www.blogger.com/profile/10308807738552566858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-41175941123549731142012-01-10T22:45:28.121+05:302012-01-10T22:45:28.121+05:30विकास की नीव रखने वाला आज भी वहीँ खड़ा है . हम अपन...विकास की नीव रखने वाला आज भी वहीँ खड़ा है . हम अपने साथ उसे लेकर कब चलेगें ......................बहुत सुंदर प्रस्तुति .धन्यवादराजेशhttps://www.blogger.com/profile/16675015767497409326noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-87907397515893816772012-01-10T22:37:53.367+05:302012-01-10T22:37:53.367+05:30विकास की नीव रखने वाला आज भी वहीँ खड़ा है . हम अपन...विकास की नीव रखने वाला आज भी वहीँ खड़ा है . हम अपने साथ उसे लेकर कब चलेगें ......................बहुत सुंदर प्रस्तुति .धन्यवादराजेशhttps://www.blogger.com/profile/16675015767497409326noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-77514546548487999992012-01-10T21:05:59.580+05:302012-01-10T21:05:59.580+05:30...........और मुझे यहीं खड़ा छोड़ जाने के वास्ते !..............और मुझे यहीं खड़ा छोड़ जाने के वास्ते ! <br />एक टीस- सी है जो निर्माण करने वाले के मन में उसके फल से वंचित रह जाने पर उठती है ,जो एक झूठे संतोष पर टूट जाती है !<br />अच्छी कविता का सहज और सुन्दर अनुवाद ! मनोज जी , आपको बहुत बहुत बधाई !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-70177806269561782892012-01-10T20:25:21.342+05:302012-01-10T20:25:21.342+05:30बहुत ही उम्दा ..बहुत ही उम्दा ..Pummyhttps://www.blogger.com/profile/04022873208734208825noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-55932545086102485852012-01-10T19:58:12.798+05:302012-01-10T19:58:12.798+05:30ये फरिश्ते हैं जो विकास की बुनियाद रखते हैं दूसरों...ये फरिश्ते हैं जो विकास की बुनियाद रखते हैं दूसरों के लिए । सड़क ही क्यों ये फरिश्ते सभ्यता को आकार दे कर लुप्त हो जाते हैं , बदले में पाते हैं आधा पेट भोजन ! सुन्दर कविता ! लेकिन क्या हमारी सभ्यता ने कोई उपाय खोजने की कोशिश की ?Jawahar choudhary https://www.blogger.com/profile/17378541906452685183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-31295693633366445002012-01-10T18:58:35.372+05:302012-01-10T18:58:35.372+05:30एक सड़क बना रहा है, और दूसरा उस पर गाड़ी चला रहा ह...एक सड़क बना रहा है, और दूसरा उस पर गाड़ी चला रहा है. जो बना रहा है, वह खुश हो रहा है कि कोई और उसकी बनाई सड़क पर इतने शानदार ढंग से सवारी कर रहा है. उसके स्वर में दर्द के साथ-साथ एक और भाव है जो अपनी नियति से घनघोर शिकायत का नहीं है, फिर भी.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137039081218727964.post-23511259795679171932012-01-10T18:57:44.494+05:302012-01-10T18:57:44.494+05:30अमीर सवारी करते हैं अपनी मोटरों में और मैं..वाह..स...अमीर सवारी करते हैं अपनी मोटरों में और मैं..वाह..सुंदर प्रस्तुति....!!डा. आर. डी. प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/02049401828277649188noreply@blogger.com