बुल्गारिया के कवि गिओर्गि गस्पदीनव की एक और कविता…
ओडियन : गिओर्गि गस्पदीनव
(अनुवाद : मनोज पटेल)
किसी दिन ठंडे पड़ जाएंगे हम भी
जैसे ठंडी हो रही है चाय की प्याली
पिछवाड़े बरामदे में बिसराई हुई
जैसे कीचड़ में गिरे लिली के फूल
जैसे पुराने वाल-पेपर के ऑर्किड
धुंधला जाएंगे हम भी किसी दिन
मगर इतनी शान से नहीं
और किन्हीं दूसरी फिल्मों में
:: :: ::