Thursday, September 12, 2013

को उन : दोस्त

कोरियाई कवि को उन की एक और कविता… 

दोस्त : को उन  
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

वह कीचड़ जो तुमने खोदा था 
उससे एक बुद्ध बना लिया मैंने. 
बारिश हुई 
और कीचड़ में बदल गए बुद्ध. 
अब यह साफ़ आसमान किस काम का? 
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Tuesday, September 10, 2013

को उन की कविता

कोरियाई कवि को उन  
की एक कविता… 










वह फूल : को उन  
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

वह फूल 
जिसे मैं नहीं देख पाया था 
ऊपर चढ़ते समय, 
दिख गया मुझे 
नीचे उतरते हुए. 
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