Wednesday, August 27, 2014

गिओर्गि गस्पदीनव की कविता

बुल्गारिया के कवि गिओर्गि गस्पदीनव की एक और कविता… 

 ओडियन  : गिओर्गि गस्पदीनव   
(अनुवाद : मनोज पटेल) 
 
किसी दिन ठंडे पड़ जाएंगे हम भी 
जैसे ठंडी हो रही है चाय की प्याली 
पिछवाड़े बरामदे में बिसराई हुई 
जैसे कीचड़ में गिरे लिली के फूल 
जैसे पुराने वाल-पेपर के ऑर्किड 
धुंधला जाएंगे हम भी किसी दिन 
मगर इतनी शान से नहीं 
और किन्हीं दूसरी फिल्मों में 
                   :: :: ::

4 comments:

  1. 'और किन्हीं दूसरी फिल्मों में ' इस वाक्यांश के सन्दर्भ-सूत्र नहीं ढूँढ़ पाया। पुनरागमन की बधाई।

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  2. अंतिम पंक्ति समझ से बाहर है

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  3. sayad dusri filmon kaa matlab agle janm se hai ..

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