(IBN 7 के एसोसिएट एडिटर पंकज श्रीवास्तव की बर्खास्तगी पर कुछ चुनिंदा फेसबुक प्रतिक्रियाएँ.)
पंकज श्रीवास्तव :
और मैं आईबीएन 7 के एसो.एडिटर पद से बर्खास्त हुआ !!! सात साल बाद अचानक सच बोलना गुनाह हो गया !!!!
कल शाम आईबीएन 7 के डिप्टी मैनेजिंग एडिटर सुमित अवस्थी को दो मोबाइल संदेश भेजे। इरादा उन्हें बताना था कि चैनल केजरीवाल के खिलाफ पक्षपाती खबरें दिखा रहा है, जो पत्रकारिता के बुनियादी उसूलों के खिलाफ है। बतौर एसो.एडिटर संपादकीय बैठकों में भी यह बात उठाता रहता था, लेकिन हर तरफ से 'किरन का करिश्मा' दिखाने का निर्देश था।दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय पर बिजली मीटर लगाने को लेकर लगे आरोपों और उनकी कंपनी में उनके भाई उमेश उपाध्याय की भागीदारी के खुलासे के बाद हालात और खराब हो गये।उमेश उपाध्याय आईबीएन 7 के संपादकीय प्रमुख हैं। मेरी बेचैनी बढ़ रही थी। मैंने सुमित को यह सोचकर एसएमएस किया कि वे पहले इस कंपनी में रिपोर्टर बतौर काम कर चुके हैं, मेरी पीड़ा समझेंगे। लेकिन इसके डेढ़ घंटे मुझे तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। नियमत: ऐसे मामलों में एक महीने का नोटिस और 'शो काॅज़' देना जरूरी है।
पिछले साल मुकेश अंबानी की कंपनी के नेटवर्क 18 के मालिक बनने के बाद 7 जुलाई को 'टाउन हाॅल' आयोजित किया गया था (आईबीएन 7 और सीएनएन आईबीएन के सभी कर्मचरियों की आम सभा ) तो मैंने कामकाज में आजादी का सवाल उठाया था। तब सार्वजनिक आश्वासन दिया गया था कि पत्रकारिता के पेशेगत मूल्यों को बरकरार रखा जाएगा। दुर्भाग्य से मैने इस पर यकीन कर लिया था।
बहरहाल मेरे सामने इस्तीफा देकर चुपचाप निकल जाने का विकल्प भी रखा गया था।यह भी कहा गया कि दूसरी जगह नौकरी दिलाने में मदद की जाएगी। लेकिन मैंने कानूनी लड़ाई का मन बनाया ताकि तय हो जाये कि मीडिया कंपनियाँ मनमाने तरीके से पत्रकारों को नहीं निकाल सकतीं ।
इस लड़ाई में मुझे आप सबका साथ चाहिये। नैतिक भी और भौतिक भी।बहुत दिनों बाद 'मुक्ति' को महसूस कर रहा हूं। लग रहा है कि इलाहाबाद विश्वविदयालय की युनिवर्सिटी रोड पर फिर मुठ्ठी ताने खड़ा हूँ।
मुझसे संपर्क का नंबर रहेगा----09873014510
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Ibn7 ने पंकज श्रीवास्तव को अपनी बात उसी बेख़ौफ़ अंदाज़ में जिसके दावे चैनल अपनी प्रोमो में लगातार करता रहा है, रखने पर न केवल बिना किसी नोटिस के बर्खास्त कर दिया बल्कि उनका लॉकर तोड़कर तलाशी ली गयी...इन सबके पीछे चैनल के मैनेजिंग एडिटर सुमित अवस्थी का हाथ बताया जा रहा है..वही सुमित अवस्थी जो आपको रोज लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का पाठ पढ़ाते हैं.
ऐसा करना किसी की निजता का,उसके आत्मसम्मान के साथ क्या करना है और ऐसा करके क्या साबित करना चाहते हैं, ये आप बेहतर समझ सकते हैं. मीडिया ऐसी शक्ल ले चुका है जिसमे मीडियाकर्मी को अलग से दुश्मन खोजने की ज़रुरत नहीं रह गयी है.
[ विनीत कुमार ]
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पंकज श्रीवास्तव कोई खलिहर पत्रकार नहीं थे. जब से अम्बानी ने नेटवर्क 18 ख़रीदा तब से उन्हें कई तरह के प्रोजेक्ट संभालने के लिए दिए. फिलहाल वे ई -टीवी के कुल ग्यारह क्षेत्रीय चैनलों की फीड देखते थे. वे यह तय करते थे की कौन सा कार्यक्रम आईबीएन के लायक है और कौन सा नहीं.
दूसरी बात अगर पंकज श्रीवास्तव को आम आदमी पार्टी या किसी और सियासी दल में शामिल होना होता तो वे दिल्ली चुनाव में नामांकन से पहले आईबीएन से इस्तीफा दे देते. गौर करने वाली बात ये है की उन्हें बर्खास्त किया गया है क्योंकि वे लगातार अम्बानी के बड़े दलालों की आँख की किरकिरी बन गए थे.
बकौल पंकज , वे अब फ्री लांसिंग करेंगे किसी चैनल में नौकरी नहीं.
साथी, अभी पंकज ने तय किया है की वे अदालत में इस पूरे मामले को ले जायेंगे. मुझे पता है हम जैसे रोज़ कमाने खाने वाले लोग दो दिन बाद इस मामले को भूल जायेंगे लेकिन फिर भी इस बार पंकज के सहारे प्रेस में कारपोरेट दलालों के हस्तक्षेप के खिलाफ मुहीम ,छोटी मुहीम ही सही. शुरू तो करनी ही होगी.
[ मो. अनस ]
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IBN 7 के सीनियर मीडियाकर्मी Pankaj श्रीवास्तव को कल रात कंपनी ने बिना वजह बताये बाहर कर दिया. जैसे कोई आपको सिर्फ इसीलिए गोली मार दे कि बंदूक उसके पास है.बात इतनी थी कि वो न्यूज़रूम में अपने साथियों को अक्सर ये कहते थे कि हमारी ख़बरों.में BJP के मुकाबले AAP का पक्ष बिल्कुल नहीं चलता जो ethics के खिलाफ है. 18 साल मीडिया मे रहने के बाद किसी पत्रकार को अपने 'दलाल' साथियों के बीच अपनी बात रखने तक की आज़ादी न हो, उस मीडिया पर भरोसा करने वालों नॉन-मीडिया साथियों को भी ठीक तरह से ये कंपनीराज समझना चाहिए. आप सब मीडिया की नौकरी में लगातार हो रही छंटनी, आत्महत्याएं और कोशिशों से वाकिफ ही होंगे.
अब ज़रूरत है इन पत्रकारों की असलियत पहचानने की और खुलकर सामने आने की.
याद रखिए, जो आज अपनी नौकरी बचा रहे हैं वो भी इसे बचाये नहीं रख पायेंगे. आइए एकजुट हों और मोटी सैलरी वाले 'हत्यारे' मालिकों से खुलकर विरोध जताएं.
नोट- इस फोटो में वो termination letter है जो कंपनी ने पंकज को मेल किया है. आप चाहें तो इसकी एक कॉपी करवाकर इकट्ठा हो सकते हैं ताकि कंपनी के दफ्तर के बाहर आग जलाई तापी जाए.
[ निखिल आनंद गिरि ]
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पंकज श्रीवास्तव को हटाये जाने के मामले में मुझे इतना ही कहना है कि पत्रकारिता की दुनिया में श्रम कानूनों का पूरी तरह पालन नहीं हो रहा है .चैनलों में तो और भी नहीं .इसलिए पत्रकारों की आलोचना करने की जगह प्रबंधन की आलोचना करनी चाहिए .प्रबंधन अपने कर्मचारियों पर काहिली का आरोप लगाता है .दस बीस साल कम करने के बाद किसी को कामचोर कहना ठीक नहीं.
[ विमल कुमार ]
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एक ज़माना था जब धर्मवीर भारती ने अपने सहकर्मियों के वेतन के मसले पर प्रबंधन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। आज यह हाल है कि संपादक को भी यह नहीं पता होता कि अगले दिन उसे ऑफ़िस आने दिया जाएगा या नहीं। तमाम वरिष्ठ मीडियाकर्मियों से अनुरोध है कि वे अपने गिरेबान में कम से कम एक बार ज़रूर झाँकें।
[ सुयश सुप्रभ ]
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भाई Pankaj Srivastava जैसे सम्वेदनशील एव समर्थ पत्रकार को बेबाकी से सच बोलने की कीमत नौकरी से बर्खास्त होकर चुकानी पड़ रही है। आज जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नारे चारों ओर गूंज रहे हैं ऐसे में इस तरह के फैसले त्रासदी की तरह दिखते हैं। खैर, इस रेंगवादी काल में पंकज भाई ने बताया कि हम सबकी रीढ़ में हड़डी जैसा भी कुछ होता है।
[ हिमांशु पाण्डेय ]
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चुन-चुनकर ऐसे पत्रकारों को नौकरियों से निकाला जा रहा है जो सरकार या मोदी की जरा भी आलोचना करते हों। चर्चा है कि भाजपा का मीडिया सेल ऐसे पत्रकारों की सुपारी दे रहा है।
[ अमलेन्दु उपाध्याय ]
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मित्र पंकज श्रीवास्तव ने इस्तीफ़ा देने का प्रस्ताव ठुकराते हुए बर्ख़ास्त होने की जोखिम मोल ली. इसमें एक विद्रोही वक्तव्य छिपा हुआ है, जो व्यवस्था की बुनियाद पर चोट करता है :
मीडिया चैनल शेयर खरीदकर बने मालिकों के नहीं हैं. हम पत्रकारों ने इन्हें अपने ख़ून से सींचा है. हमारा भी इन पर बराबर हक़ है.
[ उज्जवल भट्टाचार्य ]
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सभी नौकरी करनेवाले खुद्दार और सच्चे लोग बारूद के ढेर पर सदा बैठे हैं।सब को एक न एक दिन बाहर का रास्ता दिखाया जाना है।जो जितने ज्यादा दिन संघर्ष और कोम्प्रोमाईज़ के बीच तालमेल बैठा पाया वो ज्यादा दिन टिक गया।इस हालात में ज्यादा लोग दूर तक आपका साथ नहीं देंगें।लोगों के सपोर्ट से आपकी पीड़ा पर तात्कालिक मरहम जरूर लगेगा।लेकिन लंबे संघर्ष के लिए खुद आप को अपने बूते आगे बढ़ने की तैयारी करनी होगी।आपको तत्काल तय भी कर लेना है इस अंतहीन लड़ाई की कमान संभालेंगे या अपने शानदार कर्रिएर को कुछ सच्चे या कम भ्रष्ट बनिए के सहारे आगे ले जायेंगे।क्योंकि सिर्फ पत्रकारों का ही एक इकलौता समुदाय है जहाँ एक पत्रकार की पीड़ा में खड़े होने की बजाय आपका समूचा सहकर्मी मालिक के पक्ष में खड़े होने को विवश या आतुर है।सबसे बड़ी निराश की बात तो ये है की पत्रकार यूनियन जिनकी जिम्मेवारी है आपके लिए झंडा उठाने की वो नदारद हैं और नदारद है इतनी बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ भी ।आपके प्रेस कांफ्रेंस की कवरेज होगी भी की नहीं मुझे संदेह है।......मित्र रहा हूँ सदैव रहूंगा,जब चाहें पुकार लीजियेगा ।आपके आसपास ही हूँ।
[ एसके यादव ]
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हम सब आपके साथ है.यह घटना हमें बताती है कि किस तरह मीडिया सरकार के कब्जें में है.
[ स्वप्निल श्रीवास्तव ]
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धनपशुओं की टीवी ऐड वाली मोती सरकार के पालतू मीडिया ने सत्य कहने के कारण हमारे मित्र Pankaj Srivastava को IBN7 के एसोसियेट एडिटर के पद से बर्खास्त किया! पंकज भाई आपके साहस को नमन! आज के समय में जबकि मीडिया पूरी तरह से बिक चुकी है लोकतंत्र और इस देश को आपके जैसे पत्रकारों की आवश्यकता है! हम सभी आपके संघर्ष में साथ हैं!
[ बालेन्दु गोस्वामी ]
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