ज़ाक प्रेवेर की एक और कविता...
तुम्हारे लिए मेरी जान : ज़ाक प्रेवेर
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मैं पंछियों की मंडी गया
और मैंने पंछी खरीदे
तुम्हारे लिए
मेरी जान
मैं फूलों की मंडी गया
और मैंने फूल खरीदे
तुम्हारे लिए
मेरी जान
मैं लोहे की मंडी गया
और मैंने बेड़ियाँ खरीदीं
भारी बेड़ियाँ
तुम्हारे लिए
मेरी जान
फिर मैं गुलामों की मंडी गया
और मैंने तलाशा तुम्हें
मगर तुम मिलीं नहीं मुझे
मेरी जान.
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ज़ाक प्रेवेर की एक बहुत अच्छी कविता पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.
दोनों अच्छी कवितायेँ पढना अच्छा लगा!
ReplyDeleteबेहद मार्मिक
ReplyDeleteaaaah!!!!
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