Thursday, September 12, 2013

को उन : दोस्त

कोरियाई कवि को उन की एक और कविता… 

दोस्त : को उन  
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

वह कीचड़ जो तुमने खोदा था 
उससे एक बुद्ध बना लिया मैंने. 
बारिश हुई 
और कीचड़ में बदल गए बुद्ध. 
अब यह साफ़ आसमान किस काम का? 
:: :: ::  

7 comments:

  1. वाह ! कितनी गहरी बात..

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  2. कुछ बच्चे मालामाल हो गए अचानक
    खंगालते हुए
    लदे-फदे ताज़ा कटे कछार
    अच्छी तरह से ठोक- ठुड़क कर छाँट लेते हर दिन
    पूरा एक खज़ाना
    तुम चुन लो अपना एक शंकर
    और मुट्ठी भर उसके गण
    मैं कोई बुद्ध देखता हूँ अपने लिए
    हो सके तो सधे पैरों वाला
    एकाध अनुगामी श्रमण
    और खेलेंगे भगवान-भगवान दिन भर।

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