Sunday, March 9, 2014

एडीलेड क्रेप्सी की कविता

एडीलेड क्रेप्सी (1878 - 1914) की एक कविता...   
 

मौसम की मार खाए पेड़ों को देखकर  : एडीलेड क्रेप्सी   
(अनुवाद : मनोज पटेल) 
 
क्या इतना ही साफ़-साफ़ दिखता है हमारे जीने में 
झुकाव और घुमाव से, कि किस ओर बही है हवा?  
                                 :: :: :: 

3 comments:

  1. नहीं नहीं ....न तो दिखता है और न ही हम देखना चाहते हैं | शानदार |

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  2. हाँ.. साफ साफ दीखता है झुकाव और उससे ही निर्धारित होता है घुमाव...जब लग जाती है किसी ग्रामीण को शहर की हवा...

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  3. बिल्कुल दिख जाएगा , और साफ साफ दिख जाएगा ; यदि आप देखना चाहेंगे । पर सवाल यह है कि आप देखना क्यों चाहते हैं ?

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