"कविता दवा नहीं होती -- वह एक्सरे होती है. वह जख्म को देखने और समझने में आपकी मदद करती है." -- दुन्या मिखाइल
दुन्या मिखाइल के शीघ्र प्रकाश्य कविता संग्रह 'द इराकी नाइट्स' से एक कविता…
दुनिया का आकार : दुन्या मिखाइल
(अनुवाद : मनोज पटेल)
अगर चपटी होती दुनिया
किसी जादुई कालीन की तरह,
तो हमारे दुख का कोई आदि होता और कोई अंत.
अगर चौकोर होती दुनिया,
तो किसी कोने में छुप जाते हम
जब "लुका-छुपी" खेलती जंग.
अगर गोल होती दुनिया,
तो चर्खी झूले पर चक्कर लगाते हमारे ख्वाब,
और एक बराबर होते हम.
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ओह!! मगर गोल है ये दुनिया!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता!!!
शुक्रिया
अनु
aur phir bhi ek barabar nahi hum!?
Deleteसुंदर कविता..
ReplyDeleteबहुत खूब अनुवाद और दुनिया जिसको आपकी कविताओं को अनुवाद से जाना ... सादर
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