आओ स्पर्श करें एक-दूसरे को
जब तक हैं हमारे हाथ,
हथेली और कुहनियाँ...
प्यार करें एक-दूसरे से
पाने को दुःख,
दें यातना और संताप
कुरूप करें और अपंग
ताकि याद रखें बेहतर,
और बिछ्ड़ें तो कम हो कष्ट |
(अनुवाद : मनोज पटेल)
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