Thursday, September 30, 2010

वेरा पावलोवा की कविता

आओ स्पर्श करें एक-दूसरे को 

जब तक हैं हमारे हाथ,

 हथेली और कुहनियाँ...

 प्यार करें एक-दूसरे से

 पाने को दुःख, 

दें यातना और संताप

 कुरूप करें और अपंग

 ताकि याद रखें बेहतर,

 और बिछ्ड़ें तो कम हो कष्ट | 



(अनुवाद : मनोज पटेल)


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