Saturday, August 3, 2013

एक लघुकथा

आज एक और लघुकथा... 

बुरी कल्पना : रॉड ड्रेक  
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

उसने बताया कि उसके पति नहीं रहे थे. वह इससे कुछ ख़ास परेशान नहीं लग रही थी. शायद वे लंबे समय से बीमार रहे हों और यह इतना अनपेक्षित न रहा हो. कह लीजिए कि एक तरह की राहत की बात ही हो. या शायद वह असल में उनसे प्यार न करती रही हो, या अब उनसे प्यार न रह गया हो और उसे इस बात की बहुत परवाह न हो कि वे जा चुके हैं. या क्या पता... उसने उन्हें मार ही डाला हो. उसे किसी दुर्घटना का रूप दे दिया हो जैसा कि लोग अक्सर करते रहते हैं, और पुलिस भी इस तरह की आम, साधारण मौत की जांच-पड़ताल नहीं करती. यह पहले पन्ने की खबर नहीं बनी थी (वे ख्यात या कुख्यात नहीं, एक मामूली इंसान थे), विरासत में भारी धन-दौलत छोड़ के नहीं गए थे और मौत भी रक्त-रंजित या किसी तरह की ज्यादती से नहीं हुई थी. जाहिर तौर पर वह सामान्य ढंग से गुजर जाना भर था जिसमें कोई गहरा राज छिपा हो सकता था.  
                                                                  :: :: :: 

2 comments:

  1. हो सकता है वह जीवन की तरह मृत्यु को भी सहज स्वीकार करना जानती हो..

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  2. वाह......
    बहुत बढ़िया...

    अनु

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