वंचित नहीं करूंगी
अपने होंठों को
वंचित नहीं करूंगी मैं
उनकी मुस्कान से
अपने दिल को वंचित नहीं करूंगी
उसके ग़म से
आंसुओं से वंचित नहीं करूंगी
अपनी आँखों को
अपनी उम्र की क्रूरता से
वंचित नहीं करूंगी
अपने बालों को
हद दर्जे की
खुदगर्जी है यह
खुद को वंचित नहीं करूंगी
अपनी किसी भी चीज से.
* *
मिलना
तुमसे मिलते हुए
टकरा जाती हूँ मैं
एक दीवाल से :
लगता है
तुम्हें पता भी नहीं
कि छुपे हुए हो तुम
इसके पीछे.
कविता में
अप्रेषित सन्देश नहीं हैं यह
किसी बहरे शख्स के लिए.
* *
कीड़ों को मीनू की जरूरत नहीं
खुश हूँ कि
दुनिया भर में तुम
कभी नहीं पाओगी
ऐसे मीनू
जिन पर
छपी हो तुम्हारी देह
तरह-तरह की
कामोत्तेजक मुद्राओं में.
दिलासा देती हूँ खुद को :
कीड़ों को नहीं पड़ती जरूरत
मीनू की
अपनी आदमखोर दावत के लिए.
फिर भी
अच्छा लगता है अंदाजा लगाना
सतर्क बैठे मेज पर
अपनी सरसता को पढ़ते हुए.
(अनुवाद : Manoj Patel)
Alice Walker


यह तो बहुत सुन्दर कविताएं है.
ReplyDeleteपाखी की दुनिया में भी आपका स्वागत है.
स्तरीय चयन , बढ़िया अनुवाद , आभार और शुभकामनाएं .
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