क्या विदा ले लूं तुमसे ? अब जबकि
अप्रैल की वापसी से भी मधुर है हमारी दास्ताँ
और है काले स्पेनी जूड़े में खुंसे
गार्डेनिया के फूल से भी खूबसूरत.
सनातन घुमक्कड़
क्या ? यह दूरी थका देती है तुम्हें ?
नहीं थकता मैं तुम्हारी आँखों में
ललकता हूँ खो जाने को इनमें,
बेकार हैं वे राहें जिनमें खो न जाऊं मैं.
नहाते हुए
मैनें कभी नहीं बताया उन्हें तुम्हारे बारे में... मगर
मेरी आँखों में देख लिया उन्होंने तुम्हें नहाते हुए.
तितली
इक लकीर खींच दी है हरी पेन्सिल से तुम्हारी कमर के चारो ओर
कि ख्याल भी न आए इसे तितली बनकर........ उड़ जाने का.
पूरा-पूरा
प्रेम करो मुझसे,
मत घबराओ पैरों तक पानी से
बप्तिस्मा अधूरा रहेगा तुम्हारे नारीत्व का
जब तक पानी में डूब नहीं जाएगी
तुम्हारी देह और केशराशि पूरी.
मुहब्बत
जबसे करने लगा हूँ मुहब्बत तुमसे
बदल गई है ख़ुदाई ख़ुदा की
रात सोने लगी है कोट में मेरे
और पश्चिम से उगने लगा है सूरज.
कंगन
सही नहीं आता दुनिया का कोई कंगन तुम्हारी कलाई में
मेरे प्यार के कंगन के सिवाय.
निःशब्द
गो कि मुर्दा हैं शब्द सारे शब्दकोष के
ढूंढा है मैनें तरीका एक
प्यार करने का तुम्हें
निःशब्द.
संतरा
प्रेम छीलता है मुझे किसी संतरे की तरह
फाड़ कर दिल मेरा रातों को छोड़ जाता है :
शराब और भुट्टे और लालटेनें तेल की.
फिर भी नहीं रहता याद कभी कि काट डाला गया था मुझे
कि लहूलुहान हुआ था मैं
कभी नहीं रहता याद जो देखा था मैनें प्रत्यक्ष.
दोपहर की झपकी
शब्द तुम्हारे जैसे फारसी कालीन एक
और आँखें दमिश्क की दो गौरैया जैसे
जो उड़ती हैं इस दीवाल से उस दीवाल
मेरा दिल, किसी फाख्ते की मानिंद घूमता है
तुम्हारे हाथों के समुन्दर के आरपार
और लेता है दोपहर की झपकी
दीवाल के साए तले.
जिद्दी प्यार
मनाना चाहा तुम्हारी जुल्फों को
कि न बढ़ें तुम्हारे कन्धों से भी नीचे
कि न बन जाएं एक दीवाल उदासी की
मेरी ज़िंदगी के लिए,
मगर सारी आरजुओं पर पानी फेरते हुए
लम्बी होती गईं तुम्हारी जुल्फें
और हिदायत दी तुम्हारे बदन को
कि न भड़काएं आईने की ख्वाहिशों को
लेकिन कहाँ मानी तुम्हारे बदन ने कोई सीख
तुम होती गई खूबसूरत
और यह भी मनाने की कोशिश की तुम्हारे प्यार को
कि समुन्दर के किनारे या पहाड़ की किसी चोटी पर
साल भर की छुट्टी फायदेमंद होगी हमारे लिए
लेकिन तुम्हारे प्यार ने फुटपाथ पर फेंक दिया सूटकेस
और कह दिया झट कि उसे नहीं जाना कहीं.
बचपन के संग
आज की रात नहीं होऊंगा तुम्हारे साथ
नहीं होऊंगा कहीं भी
मोल ले लिए हैं जहाज मैनें बैगनी पालों वाले
और रेलगाड़ियाँ जो रुकती हैं सिर्फ
तुम्हारी आँखों के स्टेशन पर
और हवाई जहाज कागज़ के जो उड़ते हैं
तुम्हारे प्यार की ताकत से
सादे कागज ले आया हूँ कुछ और रंग मोम के
और फैसला किया है रतजगे का
अपने बचपन के संग.
भ्रूण
धरना चाहता हूँ तुम्हें अपनी देंह के भीतर
एक बच्चे की तरह नामुमकिन हो जिसका जन्म
कि चुभता रहे एक अदृश्य खंजर
कोई और नहीं सिर्फ मैं महसूस कर सकूं जिसे.
सर्दियां
याद है सर्दियों में तुम्हारा प्यार
और प्रार्थना करता हूँ अब बारिश से
कि जाकर बरसे कहीं और
मिन्नत करता हूँ बर्फ से
किसी और शहर में गिरे जाकर
और खुदा से करता हूँ दुआ कि
मिटा दे नामोनिशां सर्दी का अपनी जंत्री से
नहीं पता मुझे कि कैसे करूंगा सामना सर्दी का
तुम्हारे बगैर.
तुम्हारी तलाश
प्यार की तलाश है मुझे
तुम हो तलाश मेरी
प्यार चलता है मेरी त्वचा पर
तुम चलती रहती हो त्वचा पर मेरी
और मैं
बारिश से धुली गलियों और फुटपाथों को
लादे फिरता हूँ अपनी पीठ पर
तुम्हारी तलाश में.
लालसा
राख हो चुके गाँव रहते हैं तुम्हारे वक्षों के बीच
हजारों हजार खदाने
डूबे जहाज़ों का मलबा
और काट डाले गए लोगों की ढाल रहती है
जिनके बारे में सुना नहीं गया एक भी शब्द
गायब हो गया जो भी गुजरा तुम्हारे वक्षों के बीच से
और खुदकुशी कर ली उन्होंने
जो बचे रहे सुबह तलक.
पानी पर चलना
सबसे सुन्दर चीज हमारे प्यार की है जो
कि कोई बुद्धि या तर्क नहीं है इसके पास
सबसे सुन्दर चीज हमारे प्यार की है जो
कि यह चलता है पानी पर
और डूबता नहीं कभी.
रेखागणित
मेरे प्यार की सरहदों के बाहर नहीं है कोई सच्चा समय तुम्हारे पास
मैं ही हूँ तुम्हारा समय
कोई सही आयाम नहीं है पास तुम्हारे
मेरी बाहों के घेरे के बाहर
मैं ही हूँ तुम्हारे सारे आयाम
तुम्हारे कोण.... तुम्हारे वृत्त
तुम्हारी त्रिज्या
और सरल रेखाएं तुम्हारी.
केवल उसने
सभी स्त्रियों ने जिन्हें जानता था मैं
प्यार किया मुझे जब रहीं होश में वे
केवल माँ ने मेरी
नशे में किया मुझे प्यार.
इतिहास लेखन
पढो मुझे.... ताकि हमेशा भरे रहो गर्व से
पढो मुझे .... जब भी तुम्हें तलाश हो रेगिस्तान में
एक बूँद पानी की
पढो मुझे .... जब भी वे उम्मीद का दरवाजा बंद कर दें
प्रेमियों के मुंह पर
किसी एक स्त्री का गम क्या करोगे लिखकर
लिखो इतिहास की सारी स्त्रियों का गम.
( अनुवाद : Manoj Patel )
Nizar Qabbani Padhte Padhte
बेहतरीन.....आभार जो इतनी अच्छी कविताओं को आप हम लोगों के लिये यहां उपलब्ध करा रहें हैं.....शुभकामनायें!!!
ReplyDeleteManoj bhai: baat kehne ko alfaadge nahi haiN.
ReplyDeleteis ehsaas ke bayaan ko lafdge kahaaN se la'uuN vo ik neegaah-e-shaukh mujhe pyaj sa cheelti jaati hai.
behatreen kavitaaye aur utna hi achchaa anuvaad..
ReplyDeletehamesha ki tarah adhbhut.
ReplyDelete... ek-se-badhakar-ek ... behatreen post !!!
ReplyDeleteadbhut kavitayen, adbhut anuvad.
ReplyDeletebahut sumdar bat kahi apne
ReplyDeleteबहुत सहज सच्चे अनुवाद है । तुम्हारे अनुवाद में मूलाभाषा की
ReplyDeleteरूहें है।बहुत बधाई और शुभकामनाये
स्वप्निल श्रीवास्तव
ओ9415332324
फैज़ाबाद
Beautiful poems and very good translation too....congratulations Manoj ji...
ReplyDeleteBeautiful poems and very good translation too...Congratulations Manoj Ji...
ReplyDeleteBahut khubsurat kavita yen hiai.....jaise jindagi me inhe padhne se sunder kuch nahii....:)
ReplyDeleteकविताओं का चयन अच्छा है और अनुवाद बहुत प्रवाहमय...बधाई....
ReplyDeleteबहार का कोई टुकड़ा छूकर गुजरा हो जैसे…
ReplyDeletekavitayen jo deevana bana de. manoj bhai kuchh din tak aisi kavitavon pr hi apni hath sahejiye.
ReplyDeletesabdon say aapki tarif karna kaaffi nahi hai, aap behad hi muskil kaam aasaani say kar rahe hai aisa pratit hota hai, sahaj aur sunder anuwad karte hai aap , Lots of best luck Manoj ji
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत कविताए.
ReplyDelete