(फदील अल-अज्ज़वी का जन्म 1940 में ईराक के उत्तरी शहर किरकुक में हुआ था. कई कविता संग्रह और उपन्यास प्रकाशित. बग़दाद विश्वविद्यालय से बी ए. इस समय जर्मनी में निवास. - Padhte Padhte)
जहाज जो नहीं आया
मकान जो नहीं बना
सड़क जिस पर नहीं चला गया
चिट्ठी जो नहीं आई
कुआं जो नहीं खुदा
पेड़ जो नहीं लगाया गया
सिगरेट जो नहीं पी गई
काफी जिसे नहीं चुस्का गया
मौत जो नहीं आई
ज़िंदगी जो नहीं शुरू हुई
हर जहाज में है चोरी से ले जाया जा रहा एक सैलानी
हर मकान में हैं भूली हुई यादें
हर सड़क पर एक लौटता हुआ काफिला
हर चिट्ठी में एक भूला हुआ वाक्य
हर कुँए में रो रहा है एक जोजफ
हर पेड़ में लटकता एक वर्जित सेब
हर सिगरेट में एक रेड इन्डियन
हर काफी में कड़ुवापन
हर मौत में एक नशे में चूर फ़रिश्ता
हर ज़िंदगी में इंतज़ार करते हुए मातमपुर्सी करने वाले.
सरहद की चौकी पर
एक अफसर जानता है तुम्हें भली-भांति.
उससे हाथ मिलाते या मुस्कराते हुए,
निकल जाओ चुपचाप.
आखिरी ईराक
हर रात रखता हूँ मैं इस जीव को मेज पर
और खींचता हूँ इसके कान,
जब तक खुशी के आंसू नहीं आ जाते इसकी आँखों में.
एक और ठिठुरती हुई सर्दियां, हवाईजहाजों से छिदी
और टीले के छोर पर बैठे हुए फ़ौजी,
इंतज़ार करते हुए दलदल के अंधेरों से इतिहास के उठने का
बन्दूक लिए हाथों में,
इन्कलाब की तैयारियों में लगे
फरिश्तों को मार गिराने के लिए.
हर रात अपने हाथ रखता हूँ इस मुल्क पर,
उँगलियों से फिसल जाता है यह मगर,
जैसे मोर्चे से भाग रहा हो फ़ौजी कोई.
(अनुवाद : Manoj patel)
Fadhil al-Azzawi
बढ़िया कविताएँ...
ReplyDeleteबहुत अलग और सुन्दर कवितायेँ ...'चौराहे''लाज़वाब ,.!.अनुवाद बहुत अच्छा मनोज जी...धन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत अच्छी कवितायेँ ! हालातों का संवेदना स्तर पर
ReplyDeleteप्रभाव देखा जा सकता है ! प्रसंशनीय अनुवाद और कविता चयन !
सुंदर कवितायें, कुछ सोचने पर मजबूर करती हुईं!
ReplyDeleteबेहतरीन कविताएँ ...
ReplyDeleteपहली कविता तो नया ही शिल्प लिए हुए है..
सुबह-सुबह एक कड़वी ख़बर के बाद इस ब्लॉग पर अच्छी कविताएं पढ़ रही हूं,बडा अच्छा लगा।
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