जीवन पर्यंत चलने और चलते रहने वाले प्रेम के लिए कोई खास दिन मुअय्यन नही हो सकता पर अगर बुजुर्गों ने एक दिन संत वैलेंटाईन के जन्मदिन को प्रेमोत्सव की तरह मनाने का चलन रख छोड़ा है तो उस परिपाटी को आगे बढ़ाते हुए हम यह करते हैं कि पाँच अद्भुत कवियों की एक -एक रचनाएँ आपकी नजर.
ये जो पाँच नाम हैं, अफज़ाल अहमद सैयद, निज़ार कब्बानी, येहूदा आमिखाई, नाजिम हिकमत और महमूद दरवेश, ये दरअसल विश्व कविता के पाँच मजबूत पाए हैं.
मुहब्बत : अफजाल अहमद सैयद
मेरा दिल
उस पुल की तरह है
जो पानी की सतह से नीचे रह गया
मैनें अपने आप को
उस कुत्ते की तरह बेवकअत कर दिया
जो नए मालिक को अपना नाम नहीं बता सकता
और पुराना मालिक किसी हादसे में मारा जा चुका
मैनें अपने आप को नाकाम कर दिया
खुद को एक दर्दनाक मौत तक ले जाने
और एक फहशबाजारी नौहा तरतीब देने में
जिसे तुम अपना कोई आँसू खुश्क करने के लिए
सफ़ेद रुमाल की जगह इस्तेमाल कर सकती
मेरे जूतों में राख भरी है
और मेरे पैर गायब हैं
मुहब्बत कोई इल्म
कोई हथियार, कोई हलफ नहीं
कि आसानी से उठा लिया जाता
मेरे दिल में राख भरी है
और एक अजनबी जहर
मुहब्बत एक जाल है
जिसमें राख भरी है
और मेरे दोनों हाथ
मैनें अपने आपको ज़ाया कर दिया
उस बारिश के इंतज़ार में
जो मेरे पैरों, मेरे दिल, मेरे हाथों को
बहा ले जाए
और तुम उनसे कोई यादगार बनाकर
उसका नाम मुहब्बत रख सको
बेवकअत - तिरस्कृत, नौहा - शोकगीत, ज़ाया - बरबाद,नष्ट
* *
सभी फातिमाओं से खूबसूरत
पेरिस के प्लेस दी ला कांकोर्ड वाली फातिमा,
नक्श गोया मोतियों की सुडौल लिखावट से जड़ी कोई तलवार
गीतों से घिरी हुई
कमर,
जुबां यों कि जिसमें घुल जाती हों भाषाएँ सारी,
तुम्हारा इस्तकबाल करता हूँ मैं पेरिस में,
मेरे बदन के कोने-अंतरे खंगालते
सुखद हो तुम्हारा आगमन यहाँ.
अरब की लड़की, जिसकी आँखों से टपकता रहता है काला शहद
सुख झरता है जिसके होंठों से
इतवार की सुबह तो तुम्हारी बालियाँ यों करती हैं रुन-झुन
घंटियों की मीनार हो कोई गोया
उम्मीद भी नहीं थी मुझे कि किसी दिन
आर्क दी त्रिओम्फ़ के नीचे से गुजरूँगा तुम्हारे साथ
एक अन्जान प्रेमी की कब्र पर गुलाब का एक फूल रखने के लिए.
फातिमा :
वह मुंह तुम्हारा इलायची की खुश्बू से भरा,
पाँव जैसे हलके रंग में रंगे,
सोचा भी नहीं था कि होऊंगा कभी
अरब और फ्रांस के इतिहास का
सबसे मशहूर आशिक
उम्मीद नहीं की थी कभी कि
पेरिस में दाखिल होऊंगा एक अरब पासपोर्ट लिए
और जाऊंगा यहाँ से
फ्रांस का राज्याध्यक्ष होकर !!
* *
इस सदी के मध्य में हम मिले एक-दूसरे से
आधा चेहरा और पूरी आँखें लिए
जैसे मिस्र की कोई प्राचीन पेंटिंग,
और वह भी मुख़्तसर से वक्फे के लिए.
तुम्हारे सफ़र की विपरीत दिशा में सहलाए तुम्हारे बाल,
पुकारा एक-दूसरे को हमने,
जैसे पुकारते हैं लोगबाग उन शहरों के नाम
जिनमें नहीं रुकना होता उन्हें
उधर से गुजरते हुए.
खूबसूरत है यह दुनिया जो जाग जाती है तड़के, बुराई के लिए,
खूबसूरत है यह दुनिया जो सोती है गुनाह और माफी के लिए,
मेरे और तुम्हारे मिलन के कुफ्र में,
खूबसूरत है यह दुनिया.
धरती निगल जाती है लोगों को और उनके प्रेम को
शराब की तरह, भुलाने के इरादे से. मगर भुला नहीं पाएगी वह.
और जूडियन की पहाड़ियों की आकृति की तरह,
हमें भी नहीं मिलेगा चैन कहीं.
इस सदी के मध्य में हम मिले एक-दूसरे से.
मैंने देखा तुम्हारा बदन, एक परछाईं बनाता हुआ, मेरे इंतज़ार में.
एक लम्बे सफ़र की चमड़े की पट्टियां
आड़ी-तिरछी बंधी हैं मेरी छाती पर लम्बे अर्से से.
मैं बोला तुम्हारे नश्वर कूल्हों की तारीफ़ में,
और तुमने मेरे चंचल चेहरे का गुणगान किया,
मैंने सहलाए तुम्हारे बाल तुम्हारे सफ़र की दिशा में,
मैंने छुआ तुम्हारे आखिरी दिन की खबर को,
मैनें तुम्हारा हाथ छुआ जो सोया नहीं कभी,
तुम्हारा मुंह छुआ जो अब, शायद गाने वाला है गीत कोई.
रेगिस्तान की रेत से ढँक गई है वह मेज
जिस पर खाया नहीं हमने.
मगर अपनी उँगलियों से लिख दिए मैंने इस पर
तुम्हारे नाम के सारे अक्षर.
* *
तुम्हें प्यार करना यों है जैसे रोटी खाना नमक लगाकर,
जैसे रात को उठना हल्की हरारत में
और पानी की टोंटी में लगा देना अपना मुंह,
जैसे खोलना बिना लेबल वाला कोई भारी पार्सल
व्यग्रता, खुशी और सावधानी से.
तुम्हें प्यार करना यों है जैसे उड़ना समुन्दर के ऊपर
पहली-पहली बार,
जैसे महसूस करना इस्ताम्बुल पर आहिस्ता-आहिस्ता पसरती सांझ को.
तुम्हें प्यार करना जैसे यह कहना " ज़िंदा हूँ मैं ".
* *
एक बादल भूल गई वह बिस्तर में.
चली गई वह जल्दी में और कहा था, भूल जाऊंगी तुम्हें मैं.
लेकिन एक बादल भूल गई वह तो बिस्तर में.
एक रेशमी चादर से ढँक कर उस बादल को कहा मैनें,
उड़ मत जाना, मत करना उसका पीछा ;
वापस आएगी वह तुम्हारे पास.
(वहां परिंदे थे, नीले, पीले, लाल, एक बादल से पानी पीते हुए
उसके पीछे उड़ते जबकि वह बादल मंडरा रहा होता उसके कन्धों पर.)
उसे एहसास होगा जब वह वापस पहुंचेगी घर,
परिंदों के हुजूम के बिना,
कि बदल गई है फ़िज़ा उसके कन्धों के साहिल के ऊपर,
कि उड़ गए हैं बादल वहां से.
तब याद आएगा उसे कि क्या भूल आई है वह :
एक बादल मेरे बिस्तर में
और वापस लौटेगी वह वसूलने अपना शाही दस्तूर
एक बादल की शक्ल में.
इसलिए मैंने फटकारा उसे और मुस्कराया,
और जब लेटने के लिए गया बिस्तर पर
रूपक में ही सही,
भिगो दिया मुझे पानी ने.
* *
(अनुवाद : मनोज पटेल)
Love Poems Translated in Hindi
prem divs par isse behtar aur kya ho sakta hai...
ReplyDeletebadhai.
I like ek badal bhool gayi wo bistar main...all r gud..............
ReplyDeleteयादगार पोस्ट.
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविताएँ, सुन्दर अनुवाद.
क्या बात! बेहतरीन कविताएँ, धन्यवाद!!
ReplyDeleteकविताओं का चयन एक से बढ़ कर एक... शानदार पोस्ट...
ReplyDeleteखूबसूरत कवितायें !
ReplyDeleteप्रेम के अद्भुत स्मारक !
बहुत अच्छा अनुवाद मनोज जी | आप इस थैंकलेस काम में लगातार मेहनत कर रहे हैं और मुझे वह सब पढने को मिल रहा है जो मैं अन्यथा न पढ़ पाता | आपका आभारी हूँ |
ReplyDeleteराजेश रंजन
wah. apki mehnat kabile tarif hai.
ReplyDeleteKAMAAAAAAAAAAAL.....KAMAAAAAAAAAL.....MANOJ BHAI...KITNA SHANDAR ANUVAAD HAI YE....AAPKE PAAS BEHAD KHOOBSOORAT AUR PRASANGIK BHASHA HAI...ZYADATAR ANUVAADAK JAHAN MAAT KHA JATE HAIN...WAHIN AAPKI TAAQAT SAAMNE AAYI HAI...BADHAI.
ReplyDeleteतुम्हे प्यार करना ...कविता ....खासी रोमंटिक है .......ओर 'बादल भूल गयी बिस्तर में" पंक्ति भी .......
ReplyDeleteप्यार बड़ी अजीब शै है ....सब भाषाओ में एक सा बोलता है
mitra bahut bahut dhanyavad ..in khoobsoorat kavitaon ke liye ..
ReplyDeletemitra is khoobsoorat upahar ke liye bahut bahut dhanyavad
ReplyDeleteMANOJ BHAI;-KYA KAHUn.............................
ReplyDelete.........................................SHUKRIYA.
najim hikmat,mahamood daravesh ki jandar kavita prem per,.......
ReplyDeleteMahamood daravesh or Najir hikmat ki jandar kavita prem per......sundar.
ReplyDeleteBAHUT KHOOBSURAT RACHNAYEN! DHANYAWAD AAP SABKO JINHONE ISE POST KARNE ME HELP KIA !
ReplyDeletebahut khubsurat bana diya yah din ,man se aabhar...
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा चयन है यह
ReplyDeletesr dhanyavad
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