Thursday, February 17, 2011

येहूदा आमिखाई की दो कविताएँ

कोई नहीं मरा जिस दिन मेरी बेटी का जन्म हुआ 
जिस दिन मेरी बेटी का जन्म हुआ, 
एक भी शख्स की मौत नहीं हुई अस्पताल में, 
और प्रवेश द्वार पर लिखा था : 
"आज कोहनिम  को भी इजाजत है अन्दर दाखिल होने की" 
और साल का सबसे लंबा दिन था यह. 
अपनी इस अत्यधिक खुशी में 
मैं चल पडा शा'र हा-गै की पहाड़ियों की तरफ. 

हमने एक नंगा, बीमार देवदार का पेड़ देखा, जिस पर सिवाय ढेर सारे देवदार फलों के, और कुछ नहीं था. ज्वी ने कहा कि देवदार के जो पेड़ सूखने वाले होते हैं, उन पर स्वस्थ पेड़ों के मुकाबले अधिक फल लगते हैं. और मैंने उससे कहा : वह एक कविता थी और तुम्हें इसका एहसास भी नहीं हुआ. हालांकि तुम खालिस विज्ञान से ताल्लुक रखते एक शख्स हो, तुमने एक कविता कह डाली है. और उसने जवाब दिया : और तुमने, हालांकि तुम ख़्वाबों से ताल्लुक रखते एक शख्स हो, उसकी ज़िंदगी के लिए जरूरी सभी खालिस औजारों के साथ, एक छोटी सी, खालिस लड़की बना डाली है     

कोहनिम  :  यहूदी धर्म के पुजारियों के परिवार के वंशज, जिनमें मृत शरीर से दूर रहने की मान्यता प्रचलित है. 


चाहत की रोटी सेंकने के लिए 
पिछली दफा जब देखने गया था अपने बेटे को 
वह खा जाता था गंदी चीजें. और अब बदकिस्मती से, 
छूरी और कांटे से खा रहा है मांस और रोटी 
ऎसी तहजीब से जो जुट गई है उसे तैयार करने में  
खामोश और विनम्र मौत के लिए. 

उसे लगता है कोई नाविक हूँ मैं, पता है कि कोई जहाज नहीं मेरे पास 
या कोई समुन्दर ; है अगर कुछ, तो केवल लम्बी दूरियां और तूफ़ान.
इबादत में मेरे पिता की देंह की हरकत  
और मेरी देंह की हरकत प्रेममिलन के दौरान 
तहें जमा चुकी है उसके छोटे से बदन में. 

बालिग़ होने का मतलब ही है 
सेंकना चाहत की रोटी. 
आग के सामने पूरी पूरी रात, 
लाल भभक्का चेहरा लिए, जो देख रहा है मेरा बेटा. 
और फिर मिलेंगे  के ताकतवर हिज्जे 
जो बोलना सीखा है उसने अभी-अभी 
कारगर होते हैं सिर्फ मुर्दों के बीच.  

(अनुवाद : Manoj Patel)
Yehuda Amichai poems translated in Hindi 

9 comments:

  1. अच्छी कविताएं... बढ़िया अनुवाद... आभार......

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  2. और फिर मिलेंगे के ताकतवर हिज्जे
    जो बोलना सीखा है उसने अभी-अभी

    amazing.....
    कारगर होते हैं सिर्फ मुर्दों के बीच.

    subhanallah....

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  3. ''उसे लगता है कोई नाविक हूं मैं/ पता है कि कोई जहाज नहीं है मेरे पास/या कोई समुंदर/ ..है अगर कुछ तो केवल लंबी दूरियां और तूफ़ान.../''
    बहुत अच्छी कविताओं के बहुत अच्छे अनुवाद! बधाई..!

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  4. मैंने उससे कहा: कि वह एक कविता थी और तुम्हें इसका अहसास भी नहीं हुआ ...
    वाह मनोज भाई सुन्दर चयन और उत्कृष्ट अनुवाद . बधाई . आभार .

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  5. अरे वाह होते हुवा भी कुछ और होना.... शायद गर मतलब समझ रहा हूँ जो इस कविता का... होते हुवे भी कुछ ना होना...

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  6. We all love you
    For
    The poetry
    Full of Colors
    Of Life

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  7. आदरणीय मनोज जी
    आपका ब्लॉग, ब्लॉग जगत में अपनी तरह का अनूठा ब्लॉग है .....कृपया इसे यूँ ही बरकरार रखें ....मैंने अनुसरण कर लिया है ताकि आपकी हर पोस्ट से अवगत रहूँ ..शुक्रिया

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  8. कृपया माफ़ करें
    किसी कारणवश यह टिप्पणी मेरे मित्र संजय जी की से हो गयी थी ...आप इसे मेरी यानि केवल राम की टिप्पणी समझें ...शुक्रिया

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