Friday, February 25, 2011

दून्या मिखाइल की कविताएँ


1965 में जन्मी निर्वासित इराकी कवियत्री दून्या मिखाइल 2001 से अमेरिका में रह रही हैं. उनकी कविताओं का मुख्य विषय युद्ध है. उनकी किताब The War Works Hard को पेन"स ट्रांसलेशन अवार्ड मिल चुका है. यहाँ प्रस्तुत हैं कुछ कवितायेँ. 










कलाकार बच्चा
 -मैं आसमान की तस्वीर बनाना चाहता हूँ. 
- बनाओ, मेरे बच्चे
.मैनें बना लिया.
- और तुमने इस तरह 
रंगों को फैला क्यूं दिया ?
- क्यूंकि आसमान का 
कोई छोर ही नहीं है. 
...
- मैं पृथ्वी की तस्वीर बनाना चाहता हूँ. 
बनाओ, मेरे बच्चे.
- मैनें बना लिया.
- और यह कौन है ?
- वह मेरी दोस्त है.
- और पृथ्वी कहाँ है ?
- उसके हैण्डबैग में. 
...
- मैं चंद्रमा की तस्वीर बनाना चाहता हूँ. 
बनाओ, मेरे बच्चे.
- नहीं बना पा रहा हूँ मैं.
- क्यों ?
- लहरें चूर-चूर कर दे रही हैं इसे 
बार-बार. 
... 
- मैं स्वर्ग की तस्वीर बनाना चाहता हूँ. 
बनाओ, मेरे बच्चे.
- मैनें बना लिया. 
- लेकिन इसमें तो कोई रंग ही नहीं दिख रहा मुझे.
- रंगहीन है यह. 
...
- मैं युद्ध की तस्वीर बनाना चाहता हूँ.
बनाओ, मेरे बच्चे.
- मैनें बना लिया.
- और यह गोल-गोल क्या है ?
- अंदाजा लगाओ.
- खून की बूँद ?
- नहीं.
- कोई गोली ?
- नहीं.
- फिर क्या ?
- बटन 
जिससे बत्ती बुझाई जाती है. 

ट्रेवल एजेंसी 
सैलानियों का ढेर लगा है मेज पर.
कल उड़ान भरेंगे उनके हवाई जहाज 
एक रुपहली बिंदी लगाएंगे आसमान में 
और शहरों पर उतरेंगे सांझ की तरह.
 श्रीमान जार्ज का कहना है कि उनकी प्रेमिका 
अब मुस्कराती नहीं उन्हें देखकर. 
वह सीधे रोम तक का सफ़र तय करना चाहते हैं 
वहां, उसकी मुस्कराहट जैसी एक कब्र खोदने के लिए. 
"लेकिन सारी सड़कें रोम तक नहीं जातीं," मैं उन्हें याद दिलाती हूँ,
और उन्हें एक टिकट सौंपती हूँ. 
वह खिड़की के पास बैठना चाहते हैं 
आश्वस्त होने के लिए 
कि एक ही जैसा है आसमान 
हर जगह. 

सांता क्लाज 
अपनी युद्ध जैसी लम्बी दाढ़ी 
और इतिहास जैसा लाल लबादा पहने 
सांता, मुस्कराते हुए ठिठके 
और मुझसे कुछ पसंद करने के लिए कहा.
तुम एक अच्छी बच्ची हो, उन्होंने कहा, 
इसलिए एक खिलौने के लायक हो तुम.
फिर उन्होंने मुझे कविता की तरह का कुछ दिया,
और क्यूंकि हिचकिचा रही थी मैं, 
आश्वस्त किया उन्होंने मुझे : डरो मत, छुटकी  
मैं सांता क्लाज हूँ. 
बच्चों को अच्छे-अच्छे खिलौने बांटता हूँ. 
क्या तुमने मुझे पहले कभी नहीं देखा ? 
मैनें जवाब दिया : लेकिन जिस सांता क्लाज को मैं जानती हूँ 
फ़ौजी वर्दी पहने होता है वह तो, 
और हर साल वह बांटता है 
लाल तलवारें, 
यतीमों के लिए गुड़िया,
कृत्रिम अंग,
और दीवारों पर लटकाने के लिए 
गुमशुदा लोगों की तस्वीरें. 

कुछ सर्वनाम 
वह रेलगाड़ी बनता है.
वह बनती है सीटी.
वे चल पड़ते हैं.

वह रस्सी बनता है. 
वह बनती है पेड़.
वे झूला झूलने लगते हैं. 

वह सपना बनता है.
वह बनती है पंख. 
वे उड़ जाते हैं.  

वह जनरल बनता है.
वह बनती है जनता. 
वे कर देते हैं, एलाने जंग. 

कुछ गैर-फ़ौजी बयान 
1
हाँ, अपने ख़त में लिखा था मैनें 
कि हमेशा इंतज़ार करती रहूंगी तुम्हारा. 
लेकिन ठीक-ठीक "हमेशा," मतलब नहीं था मेरा 
बस तुक मिलाने के लिए जोड़ दिया था मैनें इसे. 
2
नहीं, वह उन लोगों के बीच नहीं था.
कितने सारे लोग थे वहां !
अपनी पूरी ज़िंदगी, किसी भी टेलीविजन के परदे पर 
मेरे द्वारा देखे गए लोगों से भी ज्यादा.  
और फिर भी वह, उन लोगों के बीच नहीं था. 
कोई नक्काशी नहीं है इसमें 
या हत्थे. 
यह वहीं पड़ी रहती है हमेशा 
टेलीविजन के सामने 
यह खाली कुर्सी. 
जादू की एक छड़ी का सपना देखती हूँ मैं 
जो मेरे चुम्बनों को बदल दे सितारों में.
रात में आप देख सकें उन्हें 
और जान जाएं कि असंख्य हैं वे. 
उन सभी को शुक्रिया, जिनसे प्रेम नहीं मुझे.  
वे मेरे दुःख का कारण नहीं बनते ;
वे मुझसे नहीं लिखवाते लम्बे-लम्बे ख़त ;
वे नहीं परेशान करते मेरे ख़्वाबों को. 
मैं उनका इंतज़ार नहीं करती बेचैनी से ;
नहीं पढ़ती पत्रिकाओं में उनका राशिफल ;
नहीं मिलाती उनके नंबर ;
मैं नहीं सोचती उनके बारे में. 
बहुत शुक्रगुजार हूँ उन सबकी. 
वे उलट-पुलट नहीं देते मेरी ज़िंदगी. 
एक दरवाज़ा चित्रित किया मैनें 
उसके पीछे बैठने के लिए, 
दरवाज़ा खोलने के वास्ते तैयार 
जैसे ही तुम आओ.  

(अनुवाद : मनोज पटेल)
Dunya Mikhail Poems
Hindi Anuvad

8 comments:

  1. क्या क्या रंगना चाहेंगे आप....?... बरहाल जो रंग बेहतरीन रंगा ... सोचता हूँ ऐसे कवितायेँ खास कर हमारे यहाँ क्यों नहीं उगतीं...

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  2. दून्या मिखाइल की कविताएँ पढवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद|

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  3. क्या खूबसूरत कविताएं है...

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  4. Kya baat hai? bahut mast kavita hai.thanyou

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  5. युद्ध को संवेदना की स्‍याही से चित्रित और उसकी भयावहता को बेपर्द करती कविताएं... जीवंत। अनुवाद ऐसा कि अपने यहां जैसी रचनाएं लग रही हैं... उपलब्‍ध कराने के लिए आभार...

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  6. bahut sundar anuvaad kiya hai manoj ji main aapki ek badi prshnsika hoon..

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  7. बेहतरीन ....खास कर बनती बिगडती तस्वीरों का मर्म बहुत सुंदर अनुवाद !!!!!!!!!!निर्मल पानेरी

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  8. बेहतरीन ....खास कर बनती बिगडती तस्वीरों का मर्म बहुत सुंदर अनुवाद !!!!!!!!!!निर्मल पानेरी

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