वाशिंगटन में रहने वाले अफ्रीकी-अमेरिकी कवि एथलबर्ट मिलर (जन्म 20 नवम्बर 1950) की कविता से पहला परिचय उदय प्रकाश जी के एक उत्कृष्ट अनुवाद से हुआ था, तभी से इस कवि की कवितायेँ खोज रहा था. पेशे से शिक्षक, मिलर के नौ कविता संग्रह और दो संस्मरणों की किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. उन्होंने तीन कविता संकलनों का सम्पादन भी किया है. Poet Lore नामक पत्रिका के सह सम्पादक एथलबर्ट मिलर 1974 से हावर्ड यूनिवर्सिटी के अफ्रीकन अमेरिकन रिसोर्स सेंटर के निदेशक हैं.
पनामा
पनामा
बीस के दशक की शुरूआत में
एक जलयान ले आया था मेरे पिता को अमेरिका
उनके बिलकुल पहले विचार
अभिव्यक्त हुए थे स्पेनी भाषा में
सालों बाद जब वह भूल गए यह भाषा
भूल गए वह वो भी जो देखा था उन्होंने.
बड़े होना
वह दिन जब मेरी माँ ने
छीनकर फेंक दीं चित्रकथाओं की किताबें मेरी
और उकसाया मुझे बाइबिल पढने को
उसी दिन से छोड़ दिया मैनें होना एक सुपरहीरो
और सोचना शुरू कर दिया चमत्कारों के बारे में
इस तरह तुमसे प्यार करने लगा मैं
जैसे मोजेज ने देखा था मुड़कर
पहाड़ छोड़ने के पहले
मध्य अमेरिका में घुमक्कड़ी
अगर कोई
सैलानी है
या अजनबी
या दोनों ही
वह
हमेशा सतर्क रहता है
कारों से
सूनी सड़कों से
सैनिकों
बच्चों
और यहाँ तक की
अमेरिकी दूतावास से भी.
नदी
मिलेंगे हम
नदी के पास
जहां एक छोटी नाव
इंतज़ार कर रही होगी
हमें उस पार ले जाने को
ज़मीन है
तुम्हारे दिल के नीचे
पानी है प्यार तुम्हारा.
कामना के समय में
कामना के समय में
रुक जाती है धरती
कोई कल नहीं होता
केवल वर्तमान क्षण
जब पहली बार
स्पर्श करते हैं हम
आज का दिन
शुरू और ख़त्म होता है
तुम्हारे भीतर.
(अनुवाद : Manoj Patel)
Ethelbert Miller
बेहतरीन कवितायें !
ReplyDeleteआभार।
सुन्दर कवितायेँ -किसी बड़ी बात की ओर संकेत करती
ReplyDeleteआँखों -सी !
lazawaab kavitayen..khubsurat anuvaad...hamesha kee tarah ...thanx
ReplyDeleteमनोज भाई आपका कविता चयन और अनुवाद दोनों उत्कृष्ट है. नदी और पनामा कविता बेहतरीन है..
ReplyDeleteकविताओं का मर्म जीवित है। सुन्दर अनुवाद। आभार।
ReplyDeleteइन बोलती हुई कविताओं से हमारा ताआरूफ करवाने के लिए आभार ,आपके ब्लॉग पर पहली बार आई हूँ ....... अच्छा लगा इतने अच्छे रचनाकारों को एक ही मंच पर पढ़ना .......
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