Monday, February 21, 2011

अफ़ज़ाल अहमद सैयद की कविताएँ


अर्थार्थ और समझदारी का अगर कोई ग्राफ है तो उसके सर्वाधिक निचले बिन्दु पर टिकी हुई मानसिकता, जीवन और कला को एक दूसरे का समरूप या प्रतिबिम्ब मान बैठती है. यह (कु)तर्क इस कदर व्यापक हो चुका है कि जब कोई रचनाकार, अपनी रचना के माध्यम से, जीवन और कला के सम्बन्धों को सटीक पारिभाषित कर देता है तो हमें आश्चर्य होने लगता है. वास्तव में यह सम्बन्ध परस्परच्छेद ( intersection ) का होता है ; जीवन से कोई प्रसंग उठाकर उसे जीवनानुमूल्यानुसार परंतु कला की कसौटियों पर कसा जाता है. कला के सत्य उसे अपने मानी देते हैं. अफ़ज़ाल अहमद की ‘रॉबर्ट क्लाईव’ शीर्षक कविता में जीवन और कला के इस सम्बन्ध को बखूबी दर्शाया गया है. भारतीय उपमहाद्वीप को गुलाम बनाने में जितनी भूमिका ब्रितानी नीतियों की रही उतनी ही बड़ा किरदार कुछ ब्रितानी सेनानायकों ने अपने पराक्रम और चातुर्य से निभाया. फिर इतिहास गवाह है कि क्या हुआ, क्या-क्या हुआ? रचनाकारों ने अपने तईं कई-कई ब्योरे पेश किए परंतु यह पहली बार देखने में मिला है कि अंग्रेजी सेनानायक के पराक्रम को, उसकी मुश्किलों को, तटस्थ भाव से समझने की कोशिश एक ऐसे कवि ने की है जो इसी महाद्वीप से ताल्लुक रखता है. यह विदित तथ्य है, रॉबर्ट क्लाईव भारत में ‘जीते गए युद्धों’ से इस कदर परेशान था कि जब उसके पराक्रम के चौंध में ब्रितानी सरकार ने उसे उत्तरी अमेरिका में मौजूद समूची ब्रितानी सेना की कमान सौंपी तो यह प्रस्ताव उसने ठुकरा दिया था. अफज़ाल शानदार ढंग से हमें उस व्यक्ति का दु:ख बता देते हैं, जिसे लेकर हम भारतीयों के मन में सहानुभूति तक नही उपजती है.
स्त्री विमर्श के नाम पर अनेकानेक काम होते रहे हैं पर अफ़ज़ाल साहब ने जिस तरह पुरुष मानसिकता को बेपर्द किया है, वह मानीखेज है. यह जो तीसरी दुनिया है इसकी तमाम खासयितों मे एक यह भी है कि इस आबाद दुनिया के पुरुष स्त्रियों से बहुत डरते हैं. वो कबूतरों की आजादी और स्त्रियों की पराधीनता को एक समान रूप से पसन्द करते हैं. यह सत्य है. इस तथाकथित पुरुष की आत्मकेन्द्रियता का आलम है कि यह पुरुष, स्त्री के जीवन के सबसे बड़े सत्यों में से एक, उसके गर्भधारण की खबर को, कहानी की तरह भी नहीं सुनना चाहता है. वह स्त्री के परास्त कर देने वाले सौन्दर्य से भी डरता है. “मुझे एक कहानी सुनाओ” कविता को पढ़ते हुए आप पायेंगे पुरुष, स्त्री के सौन्दर्य से इस तरह बिंधा हुआ है कि उस स्त्री के मन से भी उसके सुन्दरता की यह बात मिटा देना चाहता है. उससे बाकयदा कहता है कि आईने मे नजर आने वाली हर शै खूबसूरत होती है और खूबसूरती आईने की देन है. कहानी सुनने की दिलचस्पी रखने वाला यह पुरुष अपनी प्रेमिका / पत्नी पर ऐसे अन्देशे जताता है जिनका कोई अंत नहीं. पहली नजर में यह पुरुष अपने विराट होने के दावे इतिहास के पहिये के बारे मे बातें करते हुए पेश करता है, पर जैसे ही आप कविता की परतों को खुरचेंगे आप पायेंगे कि इतिहास में उसकी पैठ समय के किसी भी दायरे से परे है और वह गोल मोल बाते करता है, जैसे शहजादियाँ और उनके हमल. और इस तरह इतिहास के पाए से लग कर वो पूरी स्त्री जाति के हमल ठहरने की प्रक्रिया को अवैध ठहरा कर अपने आरोपों की पुष्टि करना चाहता है.  यही वह शख्स है जिसके लिए, आगे चलकर ( वह शख्स जिसे लड़कियों की जिल्द पसन्द थी ), स्त्री सिर्फ तवचा तक सीमित हो जाती है. और हद तो यह कि स्त्रियों की त्वचा छूना उसे पसन्द है.
 
अफज़ाल अहमद सैयद (افضال احمد سيد) अपनी कविताओं के जरिये सामाजिक मूल्यों और ऐतिहासिक परिस्थितियों के पुनर्मूल्यांकन के नए पैमाने रचते हैं, नई दृष्टि देते हैं. यहाँ प्रस्तुत कविताएँ उनके संग्रह 'रोकोको और दूसरी दुनियाएं' (روکوکو اور دوسری دنيائيں : نظميں) से ली गयी हैं.
 

मुझे एक कहानी सुनाओ 
मुझे एक कहानी सुनाओ 
इसके अलावा कि तुम मुझसे हामिला हो गयी हो 
इसके अलावा कि तुम उस लड़की से ज्यादा खूबसूरत हो 
जो मुझे छोड़कर चली गई है 
इसके अलावा कि तुम हमेशा सफ़ेद ब्लाउज के नीचे 
सफ़ेद ब्रेजियर पहनती हो 

मुझे एक कहानी सुनाओ 
इसके अलावा कि आईने ने सबसे खूबसूरत किसे बताया था 
इसके अलावा कि आईने में नजर आने वाली हर शै खूबसूरत होती है 
इसके अलावा कि गुलाम लड़कियों के हाथों से 
शहजादियों के आईने कैसे गिर जाते थे 
इसके अलावा कि शहजादियों के हमल कैसे गिर जाते थे 
इसके अलावा कि शहर कैसे गिर जाते थे 
और फसील, 
और इल्म, 
और मुकाबला करते हुए लोग 

मुझे एक कहानी सुनाओ 
इसके अलावा कि डेटलाइन से गुजरते हुए 
तुम कप्तान के केबिन में नहीं सोईं 
इसके अलावा कि तुमने कभी समंदर नहीं देखा 
इसके अलावा कि डूबने वालों की फेहरिस्त में कुछ नाम 
हमेशा दर्ज होने से रह जाते हैं 

मुझे एक कहानी सुनाओ 
इसके अलावा कि बिछड़ी हुई जुड़वा बहनें ब्राथल में 
एक दूसरे से कैसे मिलीं 
इसके अलावा कि कौन सा फूल किस शख्स के आंसुओं से उगा 
इसके अलावा कि कोई जलते हुए तंदूर से रोटियाँ नहीं चुराता 

मुझे एक कहानी सुनाओ 
इसके अलावा कि सुलहनामे की मेज अजायबघर से कैसे गायब हो गई 
इसके अलावा कि एक बर्रेआज़म को गलत नाम से पुकारा जाता है 

मुझे एक कहानी सुनाओ 
इसके अलावा कि तुम्हें होंठों पर बोसा देना अच्छा नहीं लगता 
इसके अलावा कि मैं तुम्हारी ज़िंदगी में पहला मर्द नहीं था 
इसके अलावा कि उस दिन बारिश नहीं हो रही थी 

हामिला  =  गर्भवती 
हमल  =  गर्भ 
फसील  =  नगर या किले को घेरने वाली चारो ओर की दीवार 
इल्म  =  ज्ञान 
ब्राथल  =  वेश्यालय, brothel 
बर्रे आज़म  =  महाद्वीप 
                    * *

राबर्ट क्लाइव  
" मेरी सारी नेकनामी रहने दो 
मेरी सारी दौलत छीन लो "

उसके साथ ऐसा ही किया गया 

उसने दर्द कम करने के लिए अफ्यून का इस्तेमाल ख़त्म कर दिया था 
ओमीचंद का भूत अब उसके सामने परेड नहीं करता था 
उसे मालूम था 
सच और खुशनसीबी पर उसकी इजारेदारी ख़त्म हो चुकी है 

अब किसी बारिश में 
दुश्मन का गोला बारूद नहीं भीग सकेगा 
कोई हुक्मरान 
उसके क़दमों में खड़े होकर 
उसे सुलह के दस्तावेज नहीं पेश करेगा 

फिर भी वह वही था 
जिसने तारीख की एक अहम जंग 
सिर्फ चौदह सिपाहियों के नुकसान पर जीती थी 

वह एक मुश्किल दुनिया का बाशिन्दा था 
हम उसकी खुदकशी पर अफ़सोस कर सकते हैं 
                    * *

सिर्फ गैर अहम शायर 
सिर्फ गैर अहम शायर 
याद रखते हैं 
बचपन की फिरोजी और सफ़ेद फूलों वाली तामचीनी की प्लेट 
जिसमें रोटी मिलती थी 

सिर्फ गैर अहम शायर 
बेशर्मी से लिख देते हैं 
अपनी नज्मों में 
अपनी महबूबा का नाम 

सिर्फ गैर अहम शायर 
याद रखते हैं 
बदतमीजी से तलाशी लिया हुआ एक कमरा 
बाग़ में खड़ी हुई एक लड़की की तस्वीर 
जो फिर कभी नहीं मिली.  
                    * *

वह आदमी जिसे लड़कियों की जिल्द पसंद थी 
वह आदमी जिसे लड़कियों की जिल्द पसंद थी 
अपनी पोर्नोग्राफी की किताब पर मढ़ने के लिए 

उसने फ़ौज के एक भगोड़े को 
एक महकूम लड़की की ज़िंदा खिंची हुई खाल 
हासिल करने की तरगीब दी 

मज्कूरा भगोड़ा 
सिंध से दो बार गुजरा 

हमें पोर्नोग्राफी की किताबों को 
एहतियात से छूना चाहिए 

महकूम  =  गुलाम 
तरगीब  =  प्रलोभन, प्रेरणा 
मज्कूरा = जिसका जिक्र हुआ (उपरोक्त)
                    * *

खेल 
सदरे मम्लिकत 
आँखों पर पट्टी बांधकर फन फेयर में बोर्ड पर बने गधे के खाके में 
उसकी दुम पिन से लगाने की कोशिश कर रहे हैं 
तीन लड़कियां खिलखिला कर हंस रही हैं 
उनमें से एक 
बहुत खूबसूरत है 

एक अहम शख्स की महबूबा 
उसके कमरे में दबे पाँव आने के बाद 
उसकी आँखें मूँदकर 
उसे गेस करने को कहती है 
उस वक़्त उसकी अंगुली में उसकी दी हुई अंगूठी नहीं है 

वजीरे आजम 
आँखों पर पट्टी बांधकर 
अपने बच्चों के साथ सरसब्ज लान पर 
ब्लाइंड मैन बफ खेल रही हैं 

हम लोगों को 
आँखों पर पट्टियां बांधकर 
कैदियों की गाड़ियों में धकेला जा रहा है 

सदरे मम्लिकत  =  राष्ट्रपति 
वजीरे आजम  =  प्रधानमंत्री 
सरसब्ज  =  हरे-भरे  
                    * *





शहर में बहार लौट आएगी 
वजीरे आजम की 
फोटोजेनिक मुस्कराहट के नतीजे में 
एडोनिस की तरह 
क़त्ल किया गया नौजवान मौत की सरजमीन से लौट आएगा 
और दूसरे मरने वाले भी 

सदर के खंखारते ही 
दहशतगर्द हथियार फेंक देंगे 
और मेहरान बैंक में मुलाजमत अख्तियार कर लेंगे 

सिह पहर को 
वजीरे आजम की जम्हाई रुकते ही 
लोग सिनेमाओं और थिएटरों को चल पड़ेंगे 
फ्रेंच बीच पर निम्फो लडकियां टापलेस चहलकदमी करेंगी 

मजबूत शानों पर 
फांसी पाने के बाद 
हमारी आँखें और जुबान उबल आने के बाद 
शहर में बहार लौट आएगी 

मुलाजमत  =  नौकरी 
सिह पहर  =  तीसरा पहर, afternoon 
शान  =  कंधा 
                    * *

एक आईसक्रीम को मुतआरिफ कराने की 
मुहिम
रेंजर्ज की मोबाइलों 
और बख्तरबंद गाड़ियों के आने के बाद 
टैंकों के आने से पहले 
वह खिलौनों की दुकानों से निकलकर 
हमारी सड़कों पर आ गए 

अपने पहियों वाले सफ़ेद डिब्बों के साथ 
जिनके ऊपर खूबसूरत छतरियां लगी थीं 

वह स्ट्राबेरी और वनीला की जुबान में बात करते थे 
उनके पास लोगों को मुतवज्जा करने के लिए 
एक दिलकश धुन थी 

उनकी 
एक आईसक्रीम को मुतआरिफ कराने की मुहिम 
हमारे शहर के लिए आखिरी खुशगवार हैरत थी 

मुतआरिफ  =  परिचित 
मुतवज्जा  =  आकर्षित 
                    * *

(लिप्यंतरण : मनोज पटेल)
Afzal Ahmed Syed, Rococo and Other Worlds 
Poems transliterated in Hindi 

14 comments:

  1. gazab kee kavitaayen..afzal saahab has delivered best of his poetry in first poem ..mujhe ek kahaani sunaao.

    sirf gair aham shaayar, rober clive and shahar me bahaar laut aayegi ..all these poems are among best readings ..

    kudos to ur efforts, Manoj ji ..!!!

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  2. शानदार कविताएँ... शुक्रिया आपका इनसे रूबरू करवाने के लिए...

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  3. ओह...
    बहुत दिनों बाद...वैसी ही सिहरन शिद्दत से महसूस हुई...

    लगता है ये वही अफ़ज़ाल अहमद साहेब है...जिनकी नज़्में काफ़ी पहले पहल-पुस्तिका के रूप में साया हुई थी...

    वही सिहरन...

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  4. शुक्रिया इस कंप्यूटर का ....आपका....कुछ कविताएं ....आदमियों का खाल उतारती है .....
    "मुझे एक कहानी सुनाओ "...
    वाकई ऐसी कविता है जो अलग अलग हिस्सों में दुनिया कवर करती है ..

    इसके अलावा कि तुम्हें होंठों पर बोसा देना अच्छा नहीं लगता
    इसके अलावा कि मैं तुम्हारी ज़िंदगी में पहला मर्द नहीं था
    इसके अलावा कि उस दिन बारिश नहीं हो रही थी

    कमाल का शख्स है लिखने वाला ...कितना बेझिझक ....कितना बेलौस.........

    ओर ये ......

    सिर्फ गैर अहम शायर
    याद रखते हैं
    बदतमीजी से तलाशी लिया हुआ एक कमरा
    बाग़ में खड़ी हुई एक लड़की की तस्वीर
    जो फिर कभी नहीं मिली.

    दूसरा नायाब टुकड़ा है ...

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  5. afzal saheb ki in nazmo se ru b ru karane ke liye shukriya. afzal saheb hindo-pak ki sajhi virasat ke nayab hire hain.

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  6. KAMAL HAI BHAI...KAVITA BHI, ANUVAD BHI.

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  7. maiN kya kahuN,ya ye kahiye ki meri baat aadhi-aadhi Dr Anurag ne aur Arun ne keh dee.
    Manoj bhai:aapke Azm aur HoNsale ko salaam ke yehaN to padh kar hee jad ho jaate haiN,aap kaie tarjumani karte ho,aur kaisi tarjumani ki AFJAAL SAHEB bhi naajaN ho,meri gujarish hai ki uhe bhi post kiya kijiye.shayad unhe bhi lage ki unke EHSAAS ko utani hee behtar ZUBAAN dee gayee hai.

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  8. यह कविताएं बहुत अच्छी हैं। आपको साधुवाद।

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  9. ऐसी कविताएँ किसी शुभ दिन ही पढ़ने को मिलती हैं..

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  10. बहुत ही उम्दा कविताएं हैं विशेषकर मुझे एक कहानी सुनाओ

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  11. गहरे उतरकर, चुप सी कर गयीं कवितायें; आँखों को बन्द कर, झकझोर गयीं कवितायें.

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  12. मैं अंधे चीतों
    रंगीन मछलियों
    और तेज बादलों को पकडता हूँ

    अंधे चीते
    कुंद कुदालों से खुदे गढों में
    रंगीन मछलियाँ
    रेशम की डोरियों से बुने जाल में
    और तेज बादल मक्नातीस से पकडे जाए है

    यह मेरा कुआँ है
    यह मेरा तंदूर है
    और यह मेरी कब्र है
    इन सब को मैंने खुद खोदा है ...................................

    ये भी उन्ही की नज्म है बेहद समृद्ध हैं ,बुनियाद ,प्रतीक ,बिम्ब , मर्म , सब कुछ रहता है अफजाल अहमद में हर मोर्चे पर ,उम्दा , बधाई प्रस्तुतकर्ता को

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  13. Afzaal ahmad..ye naam chhap gaya dimaag mein..

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