अमेरिकी कवि डोनाल्ड जस्टिस (१२ अगस्त १९२५ -- ६ अगस्त २००४) की एक कविता...
सुबह तीन बजे पढ़ने के लिए एक कविता : डोनाल्ड जस्टिस
(अनुवाद : मनोज पटेल)
बाहरी इलाके के
ढाबों को छोड़कर,
अँधेरा था
लडोरा कस्बे में
सुबह तीन बजे,
सिवाय मेरी हेडलाइटों
और वहां ऊपर
दूसरी मंजिल के एक कमरे में जलती
एक अकेली बत्ती को छोड़कर,
जहां कोई
बीमार था, या
पढ़ रहा था शायद
जबकि मैं गुजरा
सत्तर मील की रफ़्तार से
बिना कुछ सोचे हुए.
उसके लिए है यह कविता
जिसने भी
जला रखी थी बत्ती.
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sundar aur saarthak post, dhanyawaad.
ReplyDeletebeautiful expression..
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeletewaah!
ReplyDeleteवाह....!!
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