Friday, September 28, 2012

डान पगिस : बातचीत

इजरायली कवि डान पगिस की एक और कविता...   

 
बातचीत : डान पगिस 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

चार लोग चीड़ के पेड़ के बारे में बात कर रहे थे. एक ने उसकी जाति, उपजाति और तमाम किस्मों के बारे में बताया. एक ने लकड़ी उद्योग की बाबत उसके नुकसानों का आकलन किया. एक ने चीड़ के पेड़ पर कई भाषाओं की कविताएँ सुनाईं. एक ने जड़ पकड़ लिया, शाखाएं फैला लिया और लहराने लगा. 
                                                          :: :: :: 

8 comments:

  1. स्वयं चीड़ बन जाना ही चीड़ पर सर्वश्रेष्ठ टिप्पणी है !

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (30-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  3. उम्दा प्रस्तुति |
    इस समूहिक ब्लॉग में पधारें और इस से जुड़ें |
    काव्य का संसार

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  4. बहुत शानदार है विजिट करें
    http://consumerfighter.com/

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  5. क्या बात है...!! पेड का यथार्थ सम्मान...!!

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