चार्ल्स सिमिक की एक और कविता...
बेलग्रेड की इसी सड़क पर : चार्ल्स सिमिक
(अनुवाद : मनोज पटेल)
तुम्हारी माँ ले आई थीं तुम्हें
एक इमारत के सुलगते खंडहरों से बाहर
और नीचे रखा था तुम्हें इस फुटपाथ पर
झुलसे हुए चिथड़ों में लिपटी किसी गुड़िया जैसी,
सालों बाद, जहां तुम खड़ी हो इस वक़्त
एक बेघर कुत्ते से बतियाते हुए,
जो आधा छिपा है एक कार के पीछे,
उम्मीद से लबालब उसकी आँखें
जबकि धीमे-धीमे बढ़ता है वह आगे,
तैयार बुरे से बुरे के लिए.
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वाह!!! बहुत बढ़िया | आनंदमय | आभार
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Tamasha-E-Zindagi
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