अफ़ज़ाल अहमद सैयद की एक और कविता...
दरियाए सिंध हमारे दुख बहा क्यों नहीं ले जाता : अफ़ज़ाल अहमद सैयद
(लिप्यान्तरण : मनोज पटेल)
उस तमाम खून से
जो बहा
चार्ल्स नेपियर
अपनी निगाह में बरीउज्जिमा था
जैसा कि डेढ़ सौ साल बाद तक
उसके जानशीन साबित हुए
इसके अलावा भी
सब कुछ उसी तरह था
सिर्फ
जिस्मानी रिमांड में आई हुई ख़वातीन पर
खराब पिसी हुई मिर्च की बजाए
हस्सास इदारों में
'टोबास्को सास' का इस्तेमाल किया गया
कारकर्दगी बेहतर हो जाने की वजह से
लोगों को चंद मिनटों में
एक ख़ूबसूरत मेज तक पहुंचाना मुमकिन हुआ
जिसपर
उनकी तबई मौत के
दस्तख़त किए हुए सर्टिफिकेट जमा थे
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बरीउज्जिमा : दोषमुक्त
जानशीन : उत्तराधिकारी
हस्सास इदारों : संवेदनशील अंगों
कारकर्दगी : कार्यक्षमता
तबई : प्राकृतिक, स्वाभाविक
very intense and crude...
ReplyDeleteanu
बहुत ही भावपूर्ण कविता की प्रस्तुति..
ReplyDeleteक्रूरता और जुल्म का भयानक चेहरा उघाड़ती कविता । अचूक अनुवाद ।
ReplyDeleteKUDOS TO U mANOJ JI
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