लिओनेल रुगामा का जन्म 1949 में निकारागुआ में हुआ था. 1967 में वे, वहां के तानाशाह सोमोज़ा के विरुद्ध भूमिगत संघर्ष चला रही सांदिनीस्ता नेशनल लिबरेशन फ्रंट में शामिल हो गए और 15 जनवरी 1970 को बीस वर्ष की अल्पायु में सोमोज़ा की फौज से लड़ते हुए उनकी मृत्यु हो गई. यहाँ प्रस्तुत है उनकी एक कविता...
पृथ्वी चंद्रमा की एक उपग्रह है : लिओनेल रुगामा
(अनुवाद : मनोज पटेल)
अपोलो 2 ज्यादा महँगा था अपोलो 1 के मुकाबले
अपोलो 1 बहुत महँगा था.
अपोलो 3 ज्यादा महँगा था अपोलो 2 के मुकाबले
अपोलो 2 ज्यादा महँगा था अपोलो 1 के मुकाबले
अपोलो 1 बहुत महँगा था.
अपोलो 4 ज्यादा महँगा था अपोलो 3 के मुकाबले
अपोलो 3 ज्यादा महँगा था अपोलो 2 के मुकाबले
अपोलो 2 ज्यादा महँगा था अपोलो 1 के मुकाबले
अपोलो 1 बहुत महँगा था.
अपोलो 8 ने तो भट्ठा ही बैठा दिया था, मगर किसी ने एतराज नहीं जताया
क्योंकि अन्तरिक्ष यात्री प्रोटेस्टैंट थे
उन्होंने बाइबिल का पाठ किया चंद्रमा पर
और अचंभित और खुश कर दिया हर इसाई को
और उनके लौटने पर पोप पॉल छंठे ने दुआ दी उन्हें.
अपोलो 9 इन सबकी सम्मिलित लागत से भी अधिक महँगा था
अपोलो 1 सहित, जो कि बहुत महँगा था.
अकावालिंका के लोगों के परदादा-दादी
भूख से कम पीड़ित थे, उनके दादा-दादी के मुकाबले.
उनके परदादा-दादी मरे थे भूख से.
अकावालिंका के लोगों के दादा-दादी
भूख से कम पीड़ित थे, उनके माता-पिता के मुकाबले.
उनके दादा-दादी मरे थे भूख से.
अकावालिंका के लोगों के माता-पिता
भूख से कम पीड़ित थे, वहाँ के लोगों के बच्चों के मुकाबले.
उनके माता-पिता मरे थे भूख से.
अकावालिंका के लोग भूख से कम पीड़ित हैं
वहाँ के लोगों के बच्चों के मुकाबले.
अकावालिंका के लोगों के बच्चे जन्मे नहीं हैं भूख के कारण
वे भूखे हैं जन्म लेने के लिए, सिर्फ भूख से मर जाने के लिए ही.
खुशकिस्मत हैं गरीब कि उन्हें चंद्रमा मिलेगा विरासत में.
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क्या बात है मनोज भाई?
ReplyDeleteक्या कविता पढवाई आपने?
वे भूखे है जन्म लेने के लिए,
सिर्फ़ भूख से मर जाने के लिए ही।
क्या गज़ब का व्यंग्य है ...बन्दूक से छूटी गोली की तरह । असाधारण कविता ,अचूक अनुवाद ।
ReplyDeleteek jaoori kavita
ReplyDeleteवे भूखे हैं जन्म लेने के लिए और सिर्फ भूख से मर जाने के लिए।
ReplyDelete....... मनोज जी आपके लिए हजार दुआएं। बेहतरीन कविता से रूबरू करवाने के लिए ।
सिर्फ भूख से मर जाने के लिए ....
ReplyDeleteक्या गजब कविता है। बहुत बढिया। मनोज जी आपके लिए हजार दुआएं
बहुत अच्छी कविता. धन्यवाद
ReplyDeleteकृति
Great
ReplyDeleteसहज बिम्बों, जानी-पहचानी सी स्थितियों और परिचित से प्रसंगों से निर्मित लिओनेल रुगामा की यह कविता मुझे इसलिए प्रभावी लगी क्योंकि इसमें अर्थ कुछ 'बोलते' या 'घोषणा' नहीं करते, बल्कि ध्वनित होते हैं |
ReplyDeleteविकास और बदहाली की तस्वीर एक साथ दिखाती मार्मिक कविता.
ReplyDeleteManoj jee duniya ki shreshth kavitaon me se ek hai yeah kavita. Laajavaab . Dhanyavaad. - kamal Jeet Choudhary
ReplyDeleteमानीखेज... बहुत सारी तरक्कियों और विकास के दावों को धीरे से खारिज कर देने वाली कविता...
ReplyDeleteमनोज भाई बनें रहें आप ऐसे ही हमेशा...
kya likha hai! aisi rachna ek krantikaari hi kar sakta hai.
ReplyDeletedhanyvaad is shreshth rachna se mulakaat karwane k liye.
शानदार कविता. विकास के छद्म का पर्दाफाश करती.
ReplyDeleteexcellent!!!!
ReplyDeletei'm speechless.....
thanks
anu
अद्भुत कविता है भाई... इसे हम तक पहुंचाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
ReplyDeleteअद्भुत कविता है भाई, इसे हम तक पहुंचाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
ReplyDeleteshandar kavita prstuti ke liye aabhar.
ReplyDeleteओह ! चाँद मिलेगा ..........रोटी नहीं . कवि नमन .
ReplyDeleteशानदार अनुवाद !
ओह ! चाँद मिलेगा ..........रोटी नहीं . कवि नमन .
ReplyDeleteशानदार अनुवाद !