Tuesday, May 7, 2013

राबर्तो हुआरोज़ की कविता


राबर्तो हुआरोज़ की कविताओं के क्रम में एक और कविता... 

राबर्तो हुआरोज़ की कविता 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

मैं पलटता हूँ तुम्हारी तरफ, 
बिस्तर में या जीवन में, 
और पाता हूँ कि पगली हो तुम. 

उसके बाद पलटता हूँ अपनी तरफ 
और पाता हूँ वही हाल. 

इसलिए 
भले ही हम पसंद करते हैं सयानेपन को, 
आखिरकार एक बक्से में बंद कर देते हैं हम उसे, 
ताकि अब और न आ पाए वह इस पागलपन के रास्ते 
जिसके बिना हम चल नहीं सकते साथ-साथ. 
                                         (लारा के लिए फिर से, जब हम एक-दूसरे के पास आते जा रहे हैं.) 
                             :: :: ::

2 comments:

  1. पागलपन तो इश्क की एक अनिवार्य शर्त है....
    बढ़िया कविता.

    अनु

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...