राबर्तो हुआरोज़ की कविताओं के क्रम में एक और कविता...
राबर्तो हुआरोज़ की कविता
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मैं पलटता हूँ तुम्हारी तरफ,
बिस्तर में या जीवन में,
और पाता हूँ कि पगली हो तुम.
उसके बाद पलटता हूँ अपनी तरफ
और पाता हूँ वही हाल.
इसलिए
भले ही हम पसंद करते हैं सयानेपन को,
आखिरकार एक बक्से में बंद कर देते हैं हम उसे,
ताकि अब और न आ पाए वह इस पागलपन के रास्ते
जिसके बिना हम चल नहीं सकते साथ-साथ.
(लारा के लिए फिर से, जब हम एक-दूसरे के पास आते जा रहे हैं.)
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बहुत गहन
ReplyDeleteपागलपन तो इश्क की एक अनिवार्य शर्त है....
ReplyDeleteबढ़िया कविता.
अनु