यहूदा आमिखाई की एक और कविता...
किसी जगह : येहूदा आमिखाई
(अनुवाद : मनोज पटेल)
किसी जगह
ख़त्म हो चुकी है बारिश, मगर
मैं कभी नहीं खड़ा हुआ सीमा पर,
जहाँ कि अभी सूखा ही हो एक पैर
और दूसरा भीग जाए बारिश में.
या किसी ऐसे देश में
जहाँ लोगों ने बंद कर दिया हो झुकना
अगर गिर जाए कोई चीज जमीन पर.
:: :: ::
वाह......
ReplyDeleteबढ़िया!!!!
अनु
बहुत खूब .. सादर
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(4-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
good
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता.
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..
ReplyDeleteशानदार..
ReplyDelete.
ReplyDeleteजहाँ लोगों ने बंद कर दिया हो झुकना ,
अगर गिर जाये कोई चीज जमीन पर ....सच ऐसे पथराये हुए लोगों के साथ कौन रहना चाहेगा ,एक पत्थर के सिवा ... मैं अभी जिन्दा हूँ क्योंकि मैंने जिन्दा रहने की निरंतर कोशिश की है ।
बहुत अच्छी कविता ,श्रेष्ठ रचना ,,,अचूक अनुवाद । बधाई मनोज जी ।