उसने कहा था के क्रम में आज फ्रेडरिक नीत्शे के कुछ कोट्स...
उसने कहा था : फ्रेडरिक नीत्शे
(अनुवाद : मनोज पटेल)
तुम्हारा अपना रास्ता है और मेरा अपना. रही बात ठीक रास्ते, सही रास्ते और इकलौते रास्ते की, तो उसका अस्तित्व नहीं है.
आस्था : यह जानने की इच्छा न होना कि सच क्या है.
स्वर्ग से सभी मजेदार लोग अनुपस्थित हैं.
प्रेम में हमेशा कुछ पागलपन होता है. मगर पागलपन में भी हमेशा कुछ तर्क होता है.
प्रेम अँधा होता है; दोस्ती अपनी आँखें बंद कर लेती है.
मेरी अभिलाषा है कि मैं दस वाक्यों में वह बात कह दूँ जो दूसरे लोग एक पूरी किताब में कहते हैं.
व्यक्तियों में मूर्खता अपवाद स्वरूप ही होती है; लेकिन समूहों, दलों, राष्ट्रों और कालखंडों में वह नियम होती है.
क्या मनुष्य, ईश्वर की एक भारी भूल है? या ईश्वर, मनुष्य की एक भारी भूल है?
सर्वश्रेष्ठ लेखक वही होगा जो लेखक बनकर शर्मिंदा हो.
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फ्रेडरिक नीत्से का एक एक शब्द उनकी मौलिक विचारधारा को दर्शाता है.अकेलेपन,प्रेम, ईश्वर और लेखन के संबंध में यहाँ बहुत सार्थक बातें कही गयी हैं.
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति ,नीत्शे के वक्तव्य विचारणीय हैं ।
ReplyDeleteइसमें मुझे कविताई कम प्रतीत हो रही है। नीत्शे कवि भी थे ये मैंने आज समझा।
ReplyDeleteवाह...
ReplyDelete"प्रेम अँधा होता है ...........दोस्ती आँखें बंद कर लेती है ." शानदार !
ReplyDelete"प्रेम अँधा होता है ...........दोस्ती आँखें बंद कर लेती है ." शानदार !
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