Tuesday, November 2, 2010

ओरहान वेली की कुछ और कवितायेँ

( ओरहान वेली की कुछ कवितायेँ आप पहले ही नई बात पर पढ़ चुके हैं. यहाँ उनकी कुछ और कवितायेँ प्रस्तुत हैं. - Padhte Padhte )


सफ़र पर कवितायेँ 

         1 
आपसे मुखातिब होते हैं सितारे 
जब सफ़र पर होते हैं आप 
लेकिन अक्सर करते हैं वे 
उदास बातें. 

          2 
नशे से बेसुध उन रातों में 
कितनी सुखद होती है 
आपके मुंह से बजती धुन 
लेकिन वही धुन 
नहीं रह जाती सुखद 
रेल की खिड़की पर. 


मेरा बिस्तर 

क्योंकि हर रात अपने बिस्तर में 
सोचता रहता हूँ उसके बारे में, 
तो जब तलक प्यार करता होता हूँ उससे 
प्यार करता हूँ अपने बिस्तर से भी. 


बातें करेंगे लोगबाग 

आईने में कुछ और 
तो बिस्तर पर कुछ और होती है तुम्हारी खूबसूरती. 
परवाह मत करो अगर बातें करते हैं लोगबाग : 
अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनो 
सजो-संवरो लिपस्टिक वगैरह सब लगाकर 
बस उन्हें चिढ़ाने के लिए 
शाम के वक़्त आ जाओ 
आइसक्रीम पार्लर तक, 

बातें करेंगे लोगबाग इस बारे में, 
तो क्या हुआ ? 
आखिर प्रेमिका हो तुम मेरी, हो कि नहीं ? 


 बता नहीं सकता ठीक-ठीक 

यदि मैं रोया तो क्या तुम सुन पाई 
मेरी आवाज़ मेरी कविताओं में, 
क्या छू सकी थी मेरे आंसुओं को 
अपने इन हाथों से ? 

इस ग़म का शिकार बनने से पहले, 
जाना ही नहीं कभी कि गीत भी होते हैं इतने मोहक 
और शब्द इतने नाजुक. 

जानता हूँ कि है एक जगह 
जहाँ आप बतिया सकते हैं कुछ भी 
लगता है बहुत करीब हूँ उस जगह के 
फिर भी बता नहीं सकता ठीक-ठीक.      


चिड़िया और आसमान 

चिड़िया वाले 
हमारे पास है एक चिड़िया 
और एक पेड़ भी. 
बस थोड़ा सा आसमान दे दो 
दो कौड़ी का. 


कोई लोचा है जरूर 

क्या रोज होता है समुन्दर इतना ही सुहाना ? 
क्या ऐसा ही दिखता है आसमान हमेशा ? 
ये साजो सामान ये खिड़की 
क्या हरदम होती है इतनी ही प्यारी ? 
नहीं न ; 
पक्का बोलता हूँ नहीं ; 
कहीं कोई लोचा है जरूर. 


होना उदास 

नाराज हो सकता था मैं भी उनसे 
जिनसे करता हूँ मुहब्बत 
गर मुहब्बत ने सिखा न दिया होता 
होना और रहना उदास. 


पेंटिंग्स 

हालांकि वह विषय नहीं है इन पेंटिंग्स का 
कितने उदास हैं इनके नाम मगर 
" अप्रैल की सुबह " 
" बारिश के बाद "  
" नाच " 
जब भी पड़ती है इन पर निगाह 
भारी हो जाता है मन. 


(अनुवाद : Manoj Patel) 

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