अफ़ज़ाल अहमद सैयद की एक और कविता...
बर्फ़ानी चिड़ियों का क़त्ल : अफ़ज़ाल अहमद सैयद
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल)
यह बर्फ़ानी चिड़ियों के क़त्ल की कहानी है
मगर मैं इसे तुम्हारे जिस्म से शुरू करूँगा
तुम्हारा जिस्म जंगली जौ था
जो फ़रोख्त हो गया, चुरा लिया गया या तबाह हो गया
पहाड़ी बकरियों की ऊन और देवदार के रेशों से बुना लिबास
मैंने
कच्चे चमड़े की ढाल और तुम्हारी उँगलियों में मक्नातीस की अंगूठी पर
ज़िंदा रहने का हलफ़ उठाने के दिन पहना था
प्यालानुमा आईनों में
मुख्तलिफ़ रंगों की रेत से बनी एक तस्वीर थी
"यह मैं हूँ"
तुमने कहा
और आईनों से धुआँ निकलने लगा
तुमने दुनिया की क़दीमतरीन ज़बान में दुआ मांगी
जो एक गीत और झूठ
दोनों तरह सुनी गई
काश तुमने अपने जिस्म को इस कदर दहकाया न होता
ख़ुदा का आग से पहले का दिन
हमारे विसाल का दिन था
जल्द उग आने वाली फसल का ज़माना था
एक अजनबी ख़ुदा की शबीहें
पानी को मैला किए जा रही थीं
जब मैं एक ख़्वाब से दस्तबरदार हुआ
और अपनी ज़िंदगी के एक हिस्से को
पानी में घुलते हुए देखा
क़ब्रिस्तान का दरवाजा
सिंदूर से सुर्ख़ कर दिया गया था
और उसके बाद का रास्ता
हड्डियों से बने मछली पकड़ने के काँटों
और अदने मोतियों से भरा था
तुम्हारे जिस्म के सिवा मेरे पास कोई जाल न था
जिससे डूबती हुई ज़िंदगी को पकड़ सकता
मैंने तुमसे कहा
मुझे अपने बालों की दो लटें दो
और मेरी माँ को उनसे कमान की डोर बटने में मदद
तुम्हारे इन्कार के बाद
मेरे मारे जाने की कहानी है
जो मैं टोकरियाँ बुनने वाली लड़कियों की पलकों और नाखूनों से शुरू करूँगा
जिन्हें एक तवील क़हत ने
अपनी टोकरियों में बर्फ़ानी चिड़ियों को क़त्ल कर देने पर मजबूर कर दिया था
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बर्फ़ानी : बर्फ़ की
फ़रोख्त : बिकना
मक्नातीस : चुम्बक
हलफ़ : शपथ
मुख्तलिफ़ : अलग-अलग
क़दीमतरीन : सबसे पुरानी
विसाल : मिलन
शबीहें : तस्वीरें
दस्तबरदार : विरक्त
अदने : साधारण
तवील : दीर्घावधि, लम्बी
क़हत : अकाल
kaha kahan se moti dhundh ke late hai manoj bhaai,bahut achchhi kavita
ReplyDeleteकविता कुछ समझ में आई ...किसी के इंकार के बाद एक प्रेमी पर क्या -क्या गुजरी उसे मुख्तलिफ बिम्बों के सहारे कहने की कोशिश की गयी है । सुन्दर अनुवाद के लिए बधाई ।
ReplyDeleteare waaaaaaaaaaaaaah bhot khub
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