आज दो लघुकथाएँ...
दो लघुकथाएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
जीवन रक्षक प्रणाली : ट्रेसी मूर
फिलहाल बिल्कुल शान्ति है सिवाय मेरे लैपटाप की कुंजियों की खटखटाहट के जो इसे टाइप करते समय हो रही है. और उसके साँस लेने की आवाज़. अन्दर-बाहर. अन्दर-बाहर. लयबद्ध और शांतिपूर्ण. मैं हैरान हूँ कि किसी मरते हुए शख्स की आवाज़ इतनी खूबसूरत भी हो सकती है.
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थकान : टेस्सा स्काफ्फ्स
अचानक मेरी आँखें खुल जाती हैं और मैं घड़ी की तरफ देखती हूँ. सिर्फ 03:19 हो रहे हैं. अभी सुबह होने में घंटों बाकी हैं. नींद की एक गोली खाने के लिए मैं चुपचाप बिस्तर से उठती हूँ. एक बड़े से गिलास में संतरे का सारा ठंडा जूस उड़ेल लेती हूँ, सुबह के लिए कुछ नहीं छोड़ती. शीशी से नींद की एक गोली अपनी हथेली पर गिराती हूँ और उसकी बजाय सत्ताइस गोलियाँ खा जाती हूँ.
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अद्भुत..............
ReplyDeleteसशक्त कहानियाँ.
अनु
अनन्य. !!!
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