Monday, November 8, 2010

उसने कहा था : निज़ार कब्बानी



1- तुम्हारे आने से पहले
    गद्द्य थी दुनिया 
    कविता तो अब हुई है पैदा. 

2 - कालीन पर तुम्हारे पाँव 
      नाक-नक्श हैं
      कविता के.  

3 - जब प्यार करता हूँ किसी औरत को 
      पेड़ सारे दौड़े चले आते हैं मेरी ओर
      नंगे पाँव.

4 - तुम्हारी खातिर मेरा प्यार जो 
     लफ़्ज़ों से है परे
     फैसला किया है मैनें
     खामोश रहने का.  

5 - अगर कोई बादल देता है तुम्हें
      मैं तुम्हें बारिश दूंगा.

6 - हज़ारों औरतों को मारकर मेरे भीतर
     तुम बन बैठी हो मलिका. 

7 - इनके अक्स में गुम हो जाती है मेरी लिखावट
     आईनों को याददाश्त कहाँ होती है.

8 - उतार फेंको अपने कपड़े 
      सदियों से करिश्मा नहीं हुआ कोई.

9 - जिस दिन तुमने क़ुबूल किया मेरा प्यार 
      उसी दिन हुआ मेरा जन्म. 

10 - जन्म और मृत्यु की तरह 
        नामुमकिन है 
        तुम्हारे प्रेम का दुहराव.

11 - जब प्यार कर रहा हो कोई तो 
        कैसे इस्तेमाल कर सकता है लफ्ज़ पुराने. 

12 - क्या तुम सुनती हो मेरी बातें 
        जब खामोश होता हूँ मैं ?

13 - कविता ज्यादा अहम है नोटबुक से 
        होंठों से ज्यादा अहम है चुम्बन. 

14 - किसने छिपा रखी हैं हज़ारो कवितायेँ
        तुम्हारी आँखों की बंद किताब में ? 

15 - जो न होतीं तुम्हारी आँखें 
        कैसी होती यह दुनिया ? 

16 - सबकुछ है बहसतलब
        तुम्हारे नारीत्व के सिवाय. 

17 - जब तुम हंसती हो मेरी जान 
       मैं भूल जाता हूँ आसमान को.  

18 - तुम्हारी आँखों और अपने गम के सिवाय 
        इस दुनिया में और कुछ नहीं है मेरे पास. 

19 - क्या लिखूं प्यार के बारे में प्रिय 
        बस याद है इतना 
        कि सुबह जब जागा नींद से 
        खुद को पाया किसी शहजादे सा. 

20 - गवाह हूँ इसका कि 
        कोई और स्त्री न फैला सकी मेरा बचपन 
        पचास की उम्र तक. 

22 - नंगे पाँव हो तुम 
        क्या पता है तुम्हें 
        एक स्त्री बदल सकती है इतिहास की लय 
        नंगे पाँव. 


 (अनुवाद : Manoj Patel)

14 comments:

  1. manoj bhai,
    kya hee ehsaan par ehsaan karte jaate ho,
    maiN chahuN usase pehke tum meri taraf aate ho.

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  2. आपकी रचना में हर ख़याल कमाल का है ... बहुत अच्छा लगा पढ़ कर.... आभार

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  3. ओह ! निज़ार !!
    अद्भुत !!

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  4. बहुत बढ़िया,शुक्रिया मनोज जी.

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  5. amazing translation boss.
    bahut der se aapke blog par hoon..

    kya aap mujhe ye translations bhej sakte hai ..

    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com
    vksappatti@gmail.com

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  6. Very nice... Wonderful comosition... I forgot myself and have entered in some new and Beautiful world, filled with luv, rommance and happiness... Really nic

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  7. kamaal ka anuwaad hai! kamaal ki kavitayen...

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  8. अद्भुत भावाभिव्यक्ति। बधाई मनोज भाई।

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  9. sir sbahi adbut h..

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  10. Manoj thank you so much. mai apne aap ko bhul gaye in mahan logon ko padte padte. aap k kaam ke gitne tarif ki jaye kam hai. alll the besttttt.

    jyotsna

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  11. शानदार ब्लोग !
    दमदार सामग्री !
    पहल बार आया हूं यहां !
    फ़िर आऊंगा !
    फ़िलहाल बधाई !

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