Friday, October 5, 2012

डान पगिस की कविता

इजरायली कवि डान पगिस की एक और कविता...    


एक छोटी सी कविताई : डान पगिस 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

तुम्हें सब कुछ लिखने की इजाजत है, 
मसलन और  और और.  
सारे शब्दों की इजाजत है तुम्हें जिन्हें पा सको तुम, 
और सारे अर्थों की जिन्हें तुम बैठा सको उनमें. 

बेशक, अच्छा ख़याल है यह जांचना 
कि आवाज़ तुम्हारी आवाज़ ही है या नहीं, 
और हाथ तुम्हारे ही हाथ हैं, 

यदि हाँ, तो बंद कर लो अपनी आवाज़,  
बटोर लो अपने हाथ, 
और कहना मानो 
कोरे कागज़ की आवाज़ का. 
            :: :: :: 

2 comments:

  1. तुम्हें सारे शब्दों की इज़ाजत है पर अच्छा यही रहेगा कि तुम ना ही बोलो...

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  2. वाह मनोज भाई, फिर एक अनूठा मोती ले आये है आप...कलम की नियत में आँख डालने वाली रचना...!!

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