अमेरिकी कवयित्री रुथ फेनलाईट (1931) की एक कविता...
हैण्डबैग : रुथ फेनलाईट
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मेरी माँ का पुराना हैण्डबैग,
उन चिट्ठियों से ठुंसा हुआ
जिन्हें वह साथ रखे रही पूरे युद्ध भर.
गंध मेरी माँ के हैण्डबैग की : पेपरमिंट
और लिपस्टिक और फेस पाउडर.
उन चिट्ठियों की हालत, नरम
और किनारों पर कटी-फटी हुई, खोली गईं,
पढ़ी गईं, और फिर से मोड़ी गईं कितनी बार.
चिट्ठियाँ मेरे पिता की. चमड़े
और पाउडर की गंध, तभी से
जिनका मतलब है स्त्रीत्व,
और प्यार, और पीड़ा, और युद्ध.
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धन्यवाद...एक सुंदर रचना पढ़ाने के लिए।।।
ReplyDeleteपर्ल हार्बर की नायिका की याद् आ गयी.यदि कई दशकों बाद उसकी बेटी को मां का हैंडबेग मिला होता तो शायद यही चीजें बरामद हुई होती.
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