अमेरिकी कवयित्री एमिली डिकिन्सन की एक कविता...
ऐ दिल, चलो हम भूल जाएँ उसे : एमिली डिकिन्सन
(अनुवाद : मनोज पटेल)
ऐ दिल, चलो हम भूल जाएँ उसे!
भूल जाओ तुम भी, और मैं भी भूल जाऊँ आज रात!
तुम वह गरमाहट भूल जाना जो उसने दी,
और मैं भूल जाऊँगी रोशनी.
भूलने के बाद बता देना मुझे बराए मेहरबानी,
ताकि मैं भी मद्धिम कर सकूं अपने ख़याल;
ज़रा जल्दी करना! क्या पता जो तुम रह गए पीछे,
तो मैं याद करने लगूँ फिर से उसे.
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बहुत सुन्दर लिखा है...
ReplyDeleteशायद दिल से कोई दिमाग किसी को भूल जाने का परामर्श दे रहा है ...सुन्दर कविता है और उतना ही सुन्दर अनुवाद ! बधाई मनोज जी !
ReplyDeleteBeautiful...
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeletebahur sundar
ReplyDeleteदिल को भूलने के लिए कहना दरअसल याद करने की प्रक्रिया है.भूल जाएं तो यह ख्याल ही मन में ना उठे.
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