लेविस कैरोल की एक कविता...
एक जोड़ : लेविस कैरोल
(अनुवाद : मनोज पटेल)
तुम्हें दे तो दिया सब
अब और कहाँ से लाऊँ,
अलबत्ता तुम्हें थोड़ा ही मिला हो शायद:
दो आधे, तीन तिहाई, और चार चौथाई
कुल इतना ही तो दिया था तुम्हें.
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वाह...क्या गणित है...
ReplyDeleteप्रेम के अजीब समीकरण!!!
अनु
या एक पूरा ..
ReplyDeleteमैं और कहाँ से ले आऊ
कुल इतना ही तो दिया था तुम्हें
बहुत खूब..सब दे दिया पर शायद सब मिला नहीं..
ReplyDeleteमनुष्य किसी से प्रेम करने के बावजूद अपने व्यक्तित्व का कुछ अंश ही उजागर कर पाता है.पूर्णतः समर्पित होना लगभग असंभव है.
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