आज मिलते हैं जर्मन कवि माइकल आगस्तीन (1954) से. आगस्तीन ने कविताओं के बारे में कुछ सवाल' उठाए हैं. ये सवाल बड़े मौजूं हैं और फिलहाल यहाँ उनकी पहली क़िस्त प्रस्तुत की जा रही है. जर्मन से अंग्रेजी अनुवाद उनकी पत्नी, भारतीय कवयित्री सुजाता भट्ट ने किया है...
कविताओं के बारे में कुछ सवाल : माइकल आगस्तीन
(अनुवाद : मनोज पटेल)
कितनी लागत आती है
एक कविता को
पैदा करने में?
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कौन सी कविता
अपने रचयिता के बारे में ज्यादा बताती है:
उसकी पहली या उसकी आखिरी कविता?
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प्रति माह कितनी कविताओं की जरूरत पड़ती है
चार लोगों के
एक औसत परिवार को
गुजारा चलाने के लिए?
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क्या होता है
कविता का
विलोम?
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क्या कविताएँ
जान फूंक सकती हैं मुर्दों में?
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क्या स्व-परागण से
फलती-फूलती हैं फूलों से सम्बंधित कविताएँ
या उन्हें जरूरत पड़ती है हमेशा
भौरों से सम्बंधित किसी कविता की?
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क्या प्रेम कविताएँ
बंधी होती हैं किसी एक से
या अंतरणीय होती हैं वे?
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कितने दिन
ज़िंदा रह सकता है
कोई इंसान
कविताओं के बिना?
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वाजिब सवाल हैं ,जिनके जवाब आने चाहिए !
ReplyDeleteexcellent...............
ReplyDeleteबेहतरीन सवाल.....जवाब देने को मन ललचा रहा है..
बहुत बढ़िया पोस्ट..
अनु
wah...
ReplyDeleteक्या वो लोग बुरे होते हैं
जो कविता के बिना रह लेते हैं
बिना कविता सुने
बिना कविता कहे
बस करते हुए.. वो काम
जो कविता सा लगता है...
आप ने अच्छा जवाब दिया .
Deleteखूबसूरत सवाल..
ReplyDeleteशानदार यक्ष प्रश्न
ReplyDeleteअनुत्तरित जीवंत प्रश्न.
ReplyDeleteअच्छे प्रश्न हैं . सब का जवाब देने लगे तो कविता व्यर्थ मालूम लगेगी . इस लिए इन प्रश्नो के साथ कविता को ज़िन्दा रहने दिया जाए
ReplyDeleteमनोज, तुम्हारे यह पोस्ट लगाने के दो घंटे बाद ही एक अनुवादिका ने अपने फेसबुक वाल पर इस कवि पर अपना दावा ठोंक दिया है। ताकि सनद रहे और वक़्त जरूरत काम आवे।
ReplyDeleteअनिरुद्ध त्रिपाठी
जीवन में कविताओं के महत्व पर विचार करने वाली कविता.
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