टेक्सास में रहने वाले शान हिल ट्विटर के 140 अक्षरों में समा सकने लायक छोटी कहानियां लिखते हैं. 'वेरी शार्ट स्टोरी' नामक उनके ट्विटर हैंडल को एक लाख चालीस हजार से अधिक लोग फालो करते हैं. वहीं से कुछ कहानियां...
:: :: ::
एलिसा से मैं समुद्र तट पर मिला. कार के पास लाकर उसे पोंछा. फिर भी जब किसी जादू के जोर से उसके पैर नहीं नुमाया हुए तो मेरी दिलचस्पी जाती रही और मैंने उसे एक्वेरियम में डाल दिया.
:: :: ::
मेरी पत्नी ने घर के सामने एक बलूत का पेड़ लगाया. छ महीने बाद मैंने उसे काट डाला. मुझे यह ठीक नहीं लगा कि उसकी उम्र हमारी शादी की उम्र से ज्यादा हो.
:: :: ::
जैसे-जैसे साल बीतते गए मेरी पत्नी के गहनों का संग्रह बड़ा ही होता गया. मेरी हर गलती के लिए एक थान. यही है हमारे सफल दाम्पत्य का राज.
:: :: ::
नियति होना कोई आसान काम नहीं है. मुझे बहुत काम करना पड़ता है. कितनी चीजें तय करनी होती हैं लोगों के लिए. कभी-कभी मैं छुट्टी ले लेती हूँ और चीजों को अपने आप होने देती हूँ.
:: :: ::
कीथ को लगा कि उसकी धड़कन नहीं चल रही है. चिंतित होकर वह डाक्टर को दिखाने गया. डाक्टर ने उसकी मेमोरी साफ़ कर उसे रीबूट कर दिया.
:: :: ::
मशीन ने मेरी ज़िंदगी आसान कर दी है. मेरे सारे फैसले वह लेती है. क्या खाना है, कब सोना है, क्या करना है वगैरह-वगैरह. तुम्हारे ग्रह पर लोग उसे माँ-बाप कहते हैं.
:: :: ::
वाह...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !!!
आभार मनोज जी.
अनु
अद्भुत कहानियाँ..सभी एक से बढकर एक..आभार इन्हें पढ़वाने के लिए..
ReplyDeleteट्विटर के रचनात्मक उपयोग का बेहतरीन उदाहरण हैं यह कहानियाँ! १४० अक्षरों में समेटना अद्भुत है। इनके अनुवाद के लिए आभार।
ReplyDeleteट्विटर के रचनात्मक उपयोग का बेहतरीन उदाहरण हैं यह कहानियाँ! १४० अक्षरों में समेटना अद्भुत है। इनके अनुवाद के लिए आभार।
ReplyDeleteअद्भुत...... प्रभावी अनुवाद
ReplyDeletekya baat hai. bahut khoob.
ReplyDeleteबहुत खूब.अच्छी प्रस्तुति.
ReplyDeleteसाहित्य का चटखारा लेने के लिए इस ब्लॉग पर भी जाएं
www.kahekabeer.blogspot.in
मशीनी जिंदगी के समर्थक मां बाप पर व्यंग्य.सभी उक्तियाँ शानदार हैं.
ReplyDeleteMain maansik roop se khud ko inhen kahaniyan manane ke liye taiyaar nahin kar paaya. shayad mere liye kahani ka anushasan aur bahut kuchh ki maang karta hai. samay samay par aise shoshe hote rahte hain aur kuchh samay ke baad hi kaal-kalvit ho jaate hain.
ReplyDelete