Monday, February 4, 2013

एमिली डिकिन्सन : चलो हम भूल जाएँ उसे


अमेरिकी कवयित्री एमिली डिकिन्सन की एक कविता...  













ऐ दिल, चलो हम भूल जाएँ उसे : एमिली डिकिन्सन 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

ऐ दिल, चलो हम भूल जाएँ उसे! 
भूल जाओ तुम भी, और मैं भी भूल जाऊँ आज रात! 
तुम वह गरमाहट भूल जाना जो उसने दी, 
और मैं भूल जाऊँगी रोशनी. 

भूलने के बाद बता देना मुझे बराए मेहरबानी, 
ताकि मैं भी मद्धिम कर सकूं अपने ख़याल; 
ज़रा जल्दी करना! क्या पता जो तुम रह गए पीछे, 
तो मैं याद करने लगूँ फिर से उसे. 
                    :: :: :: 

6 comments:

  1. शायद दिल से कोई दिमाग किसी को भूल जाने का परामर्श दे रहा है ...सुन्दर कविता है और उतना ही सुन्दर अनुवाद ! बधाई मनोज जी !

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  2. दिल को भूलने के लिए कहना दरअसल याद करने की प्रक्रिया है.भूल जाएं तो यह ख्याल ही मन में ना उठे.

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