आप इस ब्लॉग पर जोसे सारामागो के कुछ कोट्स और महमूद दरवेश से सम्बंधित उनका गद्यांश पढ़ चुके हैं. आज प्रस्तुत है उनके गद्य की एक और बानगी, 'किसी मनुष्य की हत्या का नुस्खा'.
किसी मनुष्य की हत्या का नुस्खा : जोसे सारामागो
प्रचलित आकार-प्रकार के अनुसार, दो-चार दर्जन किलो मांस, हड्डियां और खून लीजिए. इन्हें उचित तालमेल के साथ सर, धड़ एवं अन्य अंगों में व्यवस्थित करके, कल-पुर्जों और नसों एवं तंत्रिकाओं के एक संजाल से भर दीजिए. यह कार्य, निर्माता के दोषों से बचने का ध्यान रखते हुए करिए, अन्यथा जिनका परिणाम असामान्य डील-डौल हो सकता है. चमड़ी के रंग का तनिक भी महत्व नहीं होता.
इस पेचीदा कार्य से निर्मित उत्पाद को मनुष्य का नाम दीजिए. अक्षांश, मौसम, उम्र, और मनोदशा के अनुसार गर्म या ठंडा परोसिए. यदि आप अपने इन नमूनों को बाज़ार में उतारना चाहते हों तो उनमें कुछ ऐसे गुणों को भी बिठा दीजिए जो उसे आम माल से अलग कर सकें : साहस, बुद्धिमत्ता, संवेदनशीलता, चरित्र, न्यायप्रियता, दयालुता, अपने पड़ोसियों और दूर रहने वालों के लिए सम्मान. दोयम दर्जे के उत्पादों में तमाम नकारात्मक गुणों के साथ-साथ, इन सकारात्मक गुणों में से एकाध गुण ही, कम या ज्यादा मात्रा में, पाए जाएंगे, और उनमें नकारात्मक गुण ही हावी रहेंगे. विनम्रता का तकाजा है कि हम पूर्णतः सकारात्मक या पूर्णतः नकारात्मक उत्पादों को व्यवहार्य न मानें. हर हाल में, ध्यान रहे कि इन सभी मामलों में चमड़ी के रंग का तनिक भी महत्व नहीं है.
लेकिन किसी मनुष्य को उसी की तरह कारखाने से निकले एवं समाज कही जाने वाली इमारत में रहने वाले अपने साथियों से अलगाने के लिए, एक व्यक्तिगत लेबल द्वारा ही वर्गीकृत किया जाता है. वह इस इमारत के किसी एक या अन्य तल पर जगह लेगा, किन्तु कदाचित ही उसे सीढ़ियों से ऊपर जाने की इजाजत होगी. नीचे जाने की अनुमति रहती है और समय-समय पर इसे सुगम भी बनाया जाता है. इमारत के तलों पर ढेर सारे घर होते हैं जिन्हें कभी सामाजिक हैसियत के अनुसार और कभी पेशे के अनुसार आवंटित किया जाता है. आदत, प्रथा, एवं पूर्वाग्रह कही जाने वाली धारा में ही गति मिलती है. इस धारा के खिलाफ तैरना खतरनाक है, हालांकि कुछ मनुष्य जीवन भर यही करते रहते हैं. इन मनुष्यों में, जिनके शरीर में लगभग पूर्णता की हद तक पहुंचे गुण मौजूद होते हैं, या जिन्होनें जानबूझ कर इन गुणों का चुनाव किया होता है, उनकी चमड़ी के रंग के आधार पर कोई भी भेद नहीं किया जा सकता. इनमें से कुछ गोरे हैं और कुछ काले, कुछ पीले हैं और कुछ भूरे. इनमें कुछ ताम्बई रंग वाले भी हैं, किन्तु ये लगभग लुप्तप्राय प्रजाति है.
मनुष्य की अंतिम नियति, जैसा कि हम दुनिया की शुरूआत से ही जानते रहे हैं, मृत्यु है. ठीक-ठीक अपने क्षण में, मृत्यु सभी के लिए एक समान होती है. इसके ठीक पहले के क्षण सभी के लिए एक समान नहीं होते. कोई साधारण ढंग से मर सकता है, जैसे कोई सोते-सोते ही मर जाए ; कोई उन बीमारियों में से किसी एक के चंगुल में आकर मर सकता है जिन्हें शिष्टाचारपूर्वक निर्मम कहा जाता है ; कोई यातना शिविर में यातना की वजह से मर सकता है ; कोई नाभिकीय विकिरण के कारण मर सकता है ; कोई जगुआर चलाते हुए या उसके नीचे आकर मर सकता है ; किसी दोपहर, कोई राइफल की गोली से भी मर सकता है जबकि अभी दिन है और आप सोच भी नहीं सकते कि मौत नजदीक खड़ी है. लेकिन किसी मनुष्य की चमड़ी के रंग का कोई महत्व नहीं होता.
मार्टिन लूथर किंग हममें से किसी की तरह ही एक मनुष्य थे. उनमें बहुत सी अच्छाईयां थीं जिनके बारे में हम जानते हैं, और निसंदेह कुछ दोष भी जो किसी भी तरह उनकी अच्छाइयों को कम नहीं करते. उनके जिम्मे बहुत सा काम था - और वे उन्हें अंजाम दे रहे थे. वे आदत, प्रथा एवं पूर्वाग्रह की धाराओं के खिलाफ संघर्ष करने में गले तक डूबे थे. जब तक कि राइफल की एक गोली ने हम जैसे अन्यमनस्क लोगों को फिर से याद नहीं दिला दिया कि किसी मनुष्य की चमड़ी का रंग सचमुच बहुत महत्वपूर्ण होता है.
(अनुवाद : मनोज पटेल)
Jose Saramago Hindi Anuvad
मार्टिन लूथर किंग सिर्फ एक मनुष्य नहीं , एक विचार थे | और विचार की हत्या का नुस्खा लेकिन किसी के पास नहीं |
ReplyDeleteइतना बढ़िया गद्य पढ़ाने का वाकई बहुत बहुत आभार
बहुत जबरदस्त लेखन ,करारा व्यंग !
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