Saturday, January 12, 2013

येहूदा हालेवी : शराब के बगैर प्याले

येहूदा हालेवी (1075 -- 1141) की एक कविता...  













शराब के बगैर प्याले : येहूदा हालेवी 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

मामूली चीज होते हैं शराब के बगैर प्याले 
जैसे जमीन पर फेंका हुआ कोई बर्तन, 
पर रस से छलछलाते, चमकते हैं वे 
जैसे शरीर और आत्मा. 
           :: :: :: 

3 comments:

  1. शरीर और आत्‍मा बनाम शराब और प्‍याले.

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  2. वाह.....गागर में सागर....!!

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  3. शराब से ही प्यालों की सार्थकता है !

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