Thursday, January 24, 2013

अफ़ज़ाल अहमद सैयद : मैं मार दिया जाऊंगा


अफ़ज़ाल अहमद सय्यद की एक और कविता...     

मैं मार दिया जाऊंगा : अफ़ज़ाल अहमद सैयद 
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल) 

अफ़सोस कि 
बहुत सा वक़्त 
उन हाथों को हमवार बनाने में ज़ाया हो गया 
जो एक दिन मेरा गला घोंट देंगे 

ज़ान जीने की बाल्कनी के नीचे 
मौसीक़ी फ़रोश 
और कबाब भूनने वाले 
मुझे बताते हैं 
मुझे एक दिन यहीं खड़ा करके मार दिया जाएगा 
मेरी कब्र बेशिनाख्त रह जाएगी 

उसी इमारत की पहली मंजिल पर 
और उससे अगली मंजिलों पर ख़ुदा का 
मगर मेरे साथ एक दरिया है 
जिसको अभी सीढ़ियों पर चढ़ना नहीं आता 

मुझे सुअरों के बाड़े में सुला दिया गया 
जबकि जिस मुआवज़े पर 
मेज़बान मुझे अपनी बीबी के बिस्तर में सुला देता 
वह मेरी जेब में मौजूद था 

अफ़सोस कि 
मेरी नींदें 
मेरी रातों पर ज़ाया हो गईं 
अफ़सोस कि 
मैंने जॉन डन के गिरते हुए सितारे को पकड़ लिया 
अफ़सोस कि 
अफ़सोस करने में बहुत सा वक़्त ज़ाया हो गया 
इतना वक़्त कि 
ईंटों से एक मकान बनाया जा सकता था 
नज्मों से एक मज्मूआ छापा जा सकता था 
एक औरत से एक बच्चा पैदा किया जा सकता था 

अफ़सोस कि 
मेरा बच्चा एक औरत के बटन में ज़ाया हो गया 
जबकि मुझे मारा जाना चाहिए था 
जबकि 
जल्द या बदीर 
मैं मार दिया जाऊंगा 
मैं मार दिया जाऊंगा 
जैसे कि तादेऊष रूजेविच की नज्मों के 
किरदारों को मार दिया जाना चाहिए  
                 :: :: :: 

ज़ाया  :  नष्ट, बरबाद 
ज़ान जीने की बाल्कनी  :  फ्रेंच उपन्यासकार, कवि और नाटककार Jean Genet के नाटक बाल्कनी का सन्दर्भ 
दांते का जहन्नम  :  इतालवी महाकवि दांते एलीगियरी की 'डिवाइन कामेडी' के पहले अध्याय इन्फर्नो का सन्दर्भ 
जॉन डन का गिरता हुआ सितारा  :  ब्रिटिश कवि एवं व्यंग्यकार जॉन डन के गीत 'गो एण्ड कैच अ फालिंग स्टार' का सन्दर्भ 
नज्मों का मज्मूआ  :  कविता संग्रह 

5 comments:

  1. अब तक पढ़ी गयी बेहतरीन कवितों मेंसे एक ..और उतना ही तरल अनुवाद
    बिलकुल झरने की तरह मौलिक स्वर में बहता हुआ .. आपका शुक्रिया

    _Aharnishsagar

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  2. खौफनाक वतर्मान और भविष्य को दर्शाती गंभीर कविता.

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  3. बेहतरीन..

    एक कविता में कई कविताओं के दर्शन हो गए। देवनागरी लिपि में इस कविता को हम तक पहुँचाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

    अफजाल साहब की दूसरी रचनाएँ भी पढना चाहूँगा।

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  4. Bahut khoob..anuwad mai ek rawaanagi hai ..

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  5. ye kavita anuvaadit nahi lagti, mano mool roop se hindi me hi likhi gayi ho, aapne iske rang ko kamtar nahi hone diya.

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