बिली कालिंस की एक और कविता...

मृतक : बिली कालिंस
(अनुवाद : मनोज पटेल)
लोग कहते हैं, मृतक हमेशा ऊपर से देखते रहते हैं हमें.
जब हम पहनते होते हैं अपने जूते या तैयार करते होते हैं एक सैंडविच,
स्वर्ग की शीशे के तलों वाली कश्तियों से वे निहारा करते हैं हमें
अनंत में आहिस्ता-आहिस्ता खेते हुए अपने कश्ती.
पृथ्वी पर फिरती हमारी खोपड़ी का ऊपरी हिस्सा देखा करते हैं वे,
और जब हम लेट जाते हैं किसी मैदान में या किसी सोफे पर
शायद एक लम्बी दोपहर की भिनभिनाहट के नशे में,
उन्हें लगता है कि वापस उन्हें ताक रहे हैं हम,
तब अपने चप्पू ऊपर उठाकर खामोश हो जाते हैं वे
और इंतज़ार करते हैं, माँ-बाप की तरह कि हम बंद कर लें अपनी आँखें.
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