Thursday, September 30, 2010

वेरा पावलोवा की कविता

आओ स्पर्श करें एक-दूसरे को 

जब तक हैं हमारे हाथ,

 हथेली और कुहनियाँ...

 प्यार करें एक-दूसरे से

 पाने को दुःख, 

दें यातना और संताप

 कुरूप करें और अपंग

 ताकि याद रखें बेहतर,

 और बिछ्ड़ें तो कम हो कष्ट | 



(अनुवाद : मनोज पटेल)


World Poetry in Hindi Translation, Vishv Kavita ke Hindi Anuvad, Padhte Padhte Blog, Manoj Patel

बिली कालिन्स की कविता

पहली लहर पर कदम रखने के पहले
इंतजार करता हूँ कि छुट्टियों की भीड़ समुद्र तट खाली कर दे

पैदल पार कर रहा हूँ अटलांटिक
सोचते स्पेन के बारे में
व्हेलों और लहरों को परखते
महसूसता हूँ पानी को सँभालते अपना खिसकता वजन
आज की रात इसकी डोलती सतह पर ही सोना होगा

मगर अभी तो अंदाजा लगाता हूँ
कि नीचे से मछलियों को कैसा दिखता होगा
दृश्य-अदृश्य होता मेरा तलुआ |



(अनुवाद : Manoj Patel)

Padhte Padhte

Wednesday, September 15, 2010

बम का दायरा : येहूदा आमिखाई

तीस सेंटीमीटर व्यास का बम
 सात मीटर की मारक क्षमता का दायरा बनाता था 
जिसमें चार मृत और ग्यारह घायल हुए |


 इसके चारो ओर 
 तकलीफ और वक्त के लिहाज से
 कदरन बड़ा दायरा बनता था
 जिसमें दो अस्त-व्यस्त अस्पताल
 और एक कब्रिस्तान शामिल हुए | 


लेकिन वह युवती
 जो सौ किलोमीटर दूर
 अपने शहर में दफनाई गई
 इस दायरे को काफी बड़ा कर दे रही थी |


 उसकी मौत पर
 समुन्दर पार किसी दूर देश के
 सुदूर तटों पर मातम मनाता 
वह अकेला आदमी
 इस दायरे में पूरी दुनिया को ले आता था |


 उन यतीमों के रुदन का जिक्र भी नहीं करूँगा
 जो भगवान् के सिंहासन और उसके भी परे पहुंचकर 
ऐसा दायरा बना रहा था
 जिसका 
न तो कोई अंत था
 और 
 न ही कोई भगवान् | 


(अनुवाद : Manoj Patel) 
Padhte Padhte

Thursday, September 9, 2010

किताबों के आवरण पर नौ टिप्पणियां : ओरहान पामुक



 अगर कोई लेखक  अपनी किताब बिना उसके आवरण का ख्वाब संजोए पूरी कर सकता है तो वह बुद्धिमान, पूर्ण विकसित और पूर्ण परिपक्व तो  है, लेकिन साथ ही वह अपनी मासूमियत भी खो चुका है जिसने प्रथमतया उसे लेखक बनाया था |

हम अपनी सबसे प्रिय किताबों का स्मरण, उनके आवरण के भी स्मरण के बिना नहीं कर सकते |

 हम सभी ज्यादा पाठकों को आवरण की वजह से किताबें खरीदते देखना पसंद करेंगे और ज्यादा आलोचकों को ऐसी किताबों की उपेक्षा करते देखना जो ऐसे ही पाठकों को ध्यान में रखकर लिखी गई हों |

 किताबों के आवरण पर नायकों का विस्तृत चित्रण न केवल उसके लेखक की कल्पना का अपमान है, बल्कि उसके पाठकों की कल्पना का भी |

अगर डिजाइनर यह फैसला करते हैं कि 'द रेड एंड ब्लैक' नाम की किताब लाल और काले रंग के आवरण के लायक है या 'ब्लू हाउस' शीर्षक किताब की सज्जा नीले रंग के मकान के चित्रों से होनी चाहिए तो हम ऐसा नहीं सोचने लग जाते कि वे विषय वस्तु के प्रति ईमानदार हैं, बल्कि शंका  होती है  कि उन्होंने किताब पढ़ी भी है या नहीं |

 किसी किताब को पढ़ने के सालों बाद उसके आवरण की एक झलक हमें बहुत  पहले के उस समय  में वापस पहुंचा देती है जब हम उस किताब के साथ, उसके भीतर छिपी दुनिया में प्रवेश पाने के लिए एक कोने में सिमटे बैठे हुए थे |

सफल आवरण, एक पाइप की तरह काम करते हुए हमें अपनी   मामूली दुनिया से खिसका कर किताब की दुनिया के भीतर प्रवेश करा देते हैं |

किताबों की कोई दुकान अपने आकर्षण के लिए, किताबों की बजाए उनके आवरण की विविधता के प्रति ऋणी होती है |  

किताबों के शीर्षक लोगों के नामों की तरह होते हैं : वे एक किताब को लाखों अन्य मिलती-जुलती किताबों से अलग करने में हमारी मदद करते हैं | लेकिन किताबों के आवरण लोगों के चेहरे की तरह होते हैं : वे या तो हमें उस सुख की याद दिलाते हैं जिसे हमने कभी महसूस किया था, या वे एक सुखद दुनिया का वादा करते हैं, हमारे लिए   जिसे अभी खोजना बाकी है | इसी लिए हम किताबों के आवरण को वैसी  ही उत्कंठा से देखते हैं जैसे कि चेहरों को |

 (Other Colours) 


(अनुवाद : Manoj Patel) 
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...